बागपत: हरिद्वार से सावन की पावन कांवड़ यात्रा में इस बार आस्था के साथ-साथ किसान सम्मान का नया अध्याय भी जुड़ गया है। बागपत के बरवाला गांव से चार युवाओं—ध्रुव कुमार, अनिकेत, धर्म और विशाल—ने भोलेनाथ की भक्ति के साथ देश के किसानों और महान किसान नेताओं को सम्मान देने की अनोखी पहल की। इन युवाओं ने भारत रत्न चौधरी चरण सिंह और किसान आंदोलन की पहचान बने चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की तस्वीरों के साथ ‘किसान सम्मान कांवड़’ हरिद्वार से उठाई और पदयात्रा करते हुए शुक्रवार को दोघट पहुंचे, जहां भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने उनका भव्य स्वागत किया।
कांवड़ियों के सिर पर गंगा जल नहीं, बल्कि किसान स्वाभिमान की मशाल थी। हर कदम पर ‘हर हर महादेव’ के जयकारों के बीच किसानों के योगदान को याद करते हुए ये युवा भोलेनाथ से आशीर्वाद मांगते दिखे।
राकेश टिकैत ने क्या कहा?
बागपत जिले के दोघट कस्बे में स्वागत के बाद पत्रकारों से बातचीत में राकेश टिकैत ने कहा, “ये कांवड़ नहीं सिर्फ भक्ति की पहचान नहीं, बल्कि यह देश के अन्नदाताओं के प्रति श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है। जो युवा अपने पुरखों को याद करते हुए शिवभक्ति में शामिल हो रहे हैं, वे समाज के असली नायक हैं। ये परंपरा पूरे देश में फैलनी चाहिए।”
भक्ति में दिखी प्रतिस्पर्धा, टिकैत ने जताई चिंता
पत्रकारों से वार्ता के दौरान राकेश टिकैत ने कांवड़ यात्रा में हो रही वज़न और ऊंचाई की प्रतिस्पर्धा पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि युवा अब दिखावे की होड़ में भारी-भरकम और ऊंची कांवड़ लेकर चल रहे हैं, जो न केवल उनकी सेहत के लिए खतरनाक है बल्कि यात्रा मार्ग पर भी सुरक्षा को खतरा पैदा कर रही है।
“कांवड़ श्रद्धा का प्रतीक है, शक्ति प्रदर्शन का नहीं। सरकार को चाहिए कि इस पर नियंत्रण के लिए कानून बनाए, जिससे लोग अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही कांवड़ उठाएं। समाज के प्रबुद्ध लोगों को भी इसमें भूमिका निभानी चाहिए,” टिकैत ने स्पष्ट शब्दों में कहा।
ऊंची कांवड़ और डीजे पर सरकार के फैसले का किया समर्थन
राकेश टिकैत ने ऊंची कांवड़ और डीजे पर सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का समर्थन करते हुए कहा कि हाईटेंशन तारों से ऊंची कांवड़ या ऊंचे डीजे टकराने का खतरा बना रहता है, जिससे हादसे हो सकते हैं। “अगर कांवड़ यात्रा सुरक्षित रहनी है, तो मर्यादा में रहना जरूरी है। सरकार के ये निर्णय जनहित में हैं,” टिकैत ने दो टूक कहा।
बरवाला के युवाओं की पहल बनी प्रेरणा
बरवाला गांव के इन चारों युवाओं ने यह दिखा दिया कि कांवड़ यात्रा सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना का माध्यम भी बन सकती है। किसान नेताओं की तस्वीरें लेकर चलना सिर्फ एक प्रतीक नहीं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव और पीढ़ियों को जोड़ने का प्रयास है।
कांवड़ से किसान तक—नई पीढ़ी का संदेश
‘किसान सम्मान कांवड़’ ने सावन की इस धार्मिक यात्रा को एक नया सामाजिक संदेश दिया है। जहां देश में युवा वर्ग आधुनिकता की चकाचौंध में अपनी जड़ों को भूल रहा है.