LUCKNOW. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज विकास योजनाओं और जनकल्याणकारी कार्यक्रमों की जमीनी हकीकत जानने के लिए ग्राम स्तर से लेकर संसद तक के प्रतिनिधियों के साथ दो अहम बैठकें करने जा रहे हैं। ये बैठकें राजधानी लखनऊ स्थित सीएम आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित की जाएंगी, जिसमें प्रदेश भर के जनप्रतिनिधि एक साथ जुड़ेंगे।
ग्राम प्रधानों, ब्लॉक प्रमुखों और जिला पंचायत प्रतिनिधियों से पहली बैठक
मुख्यमंत्री की पहली बैठक आज शाम 4 बजे होगी, जिसमें ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत स्तर तक के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इस बैठक में ग्राम प्रधान, ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य शामिल होंगे। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य सरकार द्वारा संचालित ग्रामीण विकास, स्वच्छ भारत मिशन, आवास योजनाएं, हर घर जल योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, मनरेगा और अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करेंगे। सीएम ग्रामीण स्तर के इन प्रतिनिधियों से सीधे संवाद कर यह जानने का प्रयास करेंगे कि योजनाओं का लाभ अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंच रहा है या नहीं। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में पंचायतों में डिजिटल व्यवस्था, ई-गवर्नेंस, शौचालय निर्माण, ग्राम सचिवालयों की स्थिति और पंचायती राज विभाग के समन्वय पर विशेष चर्चा होगी।
सांसदों-विधायकों के साथ शाम 6 बजे दूसरी बैठक
सीएम योगी आदित्यनाथ शाम 6 बजे प्रदेश भर के सांसदों और विधायकों के साथ दूसरी महत्वपूर्ण बैठक करेंगे। यह बैठक भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित की जाएगी। इसमें सांसद, विधायक और विधान परिषद सदस्य शामिल होंगे। मुख्यमंत्री इस बैठक में विकास कार्यों की प्रगति, कानून व्यवस्था, नगरीय सुविधाओं, इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं और केंद्र व राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं के कार्यान्वयन पर चर्चा करेंगे।
सीएम जनप्रतिनिधियों से यह जानने का प्रयास करेंगे कि उनके क्षेत्रों में जनहित की योजनाएं कितनी प्रभावी हैं, और यदि कहीं कोई अड़चन या भ्रष्टाचार की शिकायत हो तो उसे तुरंत दूर किया जाए। इसके साथ ही आगामी त्योहारों, मानसून और बाढ़ की संभावनाओं को देखते हुए जिलों की तैयारी पर भी बात होगी।
संवाद और समीक्षा के जरिए होगा सुशासन का संदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह संवादात्मक और निगरानी आधारित मॉडल ‘गांव से संसद’ तक सुशासन और पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है। प्रशासनिक अफसरों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे इन बैठकों में बताए गए मुद्दों पर तुरंत कार्रवाई करें और फील्ड से जुड़ी हर जानकारी ईमानदारी से मुख्यमंत्री को दें।