लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घाना की संसद को संबोधित कर इतिहास रच दिया। यह अवसर न सिर्फ भारत और घाना के बीच बढ़ते हुए द्विपक्षीय संबंधों की गवाही बना, बल्कि अफ्रीका में भारत की मजबूत होती कूटनीतिक उपस्थिति का भी प्रतीक रहा। पीएम मोदी को घाना सरकार द्वारा देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया, जिसे उन्होंने 1.4 अरब भारतीयों का सम्मान करार दिया।
सम्मान और संबोधन: भारत-घाना मैत्री की नई ऊंचाई
पीएम मोदी ने घाना की संसद को संबोधित करते हुए कहा मैं इस ऐतिहासिक संसद को संबोधित करते हुए बेहद सम्मानित महसूस कर रहा हूं। यह सम्मान मेरा नहीं, 1.4 अरब भारतीयों का है। उन्होंने अपने भाषण में भारत और घाना के ऐतिहासिक सांस्कृतिक, लोकतांत्रिक और विकासात्मक रिश्तों को याद किया और कहा कि दोनों देश लोकतंत्र, समानता और समावेशी विकास की साझा प्रतिबद्धता पर एकजुट हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और घाना दोनों ही उन देशों में शामिल हैं, जो विकासशील दुनिया की आवाज बनकर उभर रहे हैं और वैश्विक दक्षिण की आकांक्षाओं को मजबूती दे रहे हैं।
घाना से साझेदारी को बताया रणनीतिक
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने घाना को अफ्रीका में भारत का भरोसेमंद मित्र बताया। उन्होंने कहा कि भारत डिजिटल क्रांति, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में घाना के साथ मिलकर काम कर रहा है। पीएम मोदी ने कहा हमारा संबंध केवल व्यापार का नहीं, बल्कि आत्मीयता और समान लक्ष्यों का है। उन्होंने बताया कि भारत द्वारा स्थापित ई-वीडियो क्लासरूम, टेलीमेडिसिन केंद्र, सोलर प्रोजेक्ट और स्कॉलरशिप कार्यक्रमों का लाभ हजारों घानाई छात्रों और नागरिकों को मिल रहा है।
विश्व राजनीति में भारत-अफ्रीका साझेदारी
पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र समेत वैश्विक संस्थाओं में अफ्रीका की उचित भागीदारी की वकालत करते हुए कहा कि यह आवश्यक है कि अफ्रीका की आवाज वैश्विक नीति-निर्धारण में सुनी जाए। भारत हमेशा अफ्रीका की आकांक्षाओं का समर्थन करता रहा है। G20 में अफ्रीकन यूनियन की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की पहल इसका प्रमाण है। विकासशील देशों के लिए Global South की अवधारणा को मजबूत करते हुए जलवायु परिवर्तन, डिजिटल डिवाइड और वैश्विक आर्थिक असमानताओं से निपटने के लिए साझा प्रयासों की आवश्यकता बताई।
सांस्कृतिक समरसता और ऐतिहासिक संबंधों का उल्लेख
पीएम मोदी ने अपने भाषण में महात्मा गांधी और घाना के पहले राष्ट्रपति के बीच वैचारिक समानताओं को रेखांकित करते हुए कहा कि इन दोनों नेताओं ने उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष में नैतिक नेतृत्व प्रदान किया। उन्होंने कहा भारत और घाना दोनों की आत्मा में स्वतंत्रता, गरिमा और समावेशी समाज की चेतना गहराई से रची-बसी है।