पुरी, ओडिशा – प्रयागराज में महाकुंभ मेले के दौरान करोड़ों श्रद्धालुओं को भोजन और सहायता पहुंचाने के बाद, अदाणी ग्रुप अब भारत के एक और महान धार्मिक पर्व – पुरी की रथ यात्रा – में भी व्यापक सेवा कार्य कर रहा है। यह यात्रा 26 जून से 8 जुलाई तक चलेगी।
हर वर्ष श्रीजगन्नाथ मंदिर में आयोजित होने वाली नौ दिवसीय रथ यात्रा में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु जुटते हैं। इस वर्ष अदाणी ग्रुप ‘सेवा ही साधना है’ की भावना के साथ यात्रियों और फ्रंटलाइन कर्मचारियों के लिए विशाल सेवा योजना को अंजाम दे रहा है।
क्या है अदाणी ग्रुप की सेवा योजना:
- 40 लाख मुफ्त भोजन और पेय पदार्थों का वितरण
- शहर भर में स्थापित फूड काउंटरों के माध्यम से पोषक भोजन की व्यवस्था
- ठंडी पेय सामग्री के काउंटर ताकि श्रद्धालु ओडिशा की गर्मी से राहत पा सकें
- पुरी बीच लाइफगार्ड महासंघ के लाइफगार्ड्स को सहायता
- बीच और शहर की सफाई के लिए वालंटियर, विशेषकर प्लास्टिक कचरे को हटाने पर ज़ोर
- आधिकारिक वालंटियरों को मुफ्त टी-शर्ट
- नगर कर्मियों के लिए फ्लोरोसेंट सुरक्षा जैकेट्स
- बारिश और गर्मी से बचाव हेतु जैकेट, रेनकोट, टोपी व छाते का वितरण
यह सेवा कार्य अदाणी ग्रुप द्वारा पुरी जिला प्रशासन, ISKCON और स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों के सहयोग से संचालित हो रहा है।
सांस्कृतिक सेवा में बढ़ते कदम
अदाणी फाउंडेशन पहले से ही ओडिशा में ग्रामीण स्वास्थ्य, स्कूल ढांचा और आजीविका जैसे क्षेत्रों में काम करता आ रहा है। अब इस रथ यात्रा में सहभागिता को वह भारतीय सार्वजनिक जीवन में आध्यात्मिक निरंतरता का हिस्सा मानता है।
सूत्रों का कहना है कि रथ यात्रा की सेवा योजना कई महीनों पहले से स्थानीय साझेदारों के साथ मिलकर तैयार की गई थी। वालंटियर्स में अदाणी ग्रुप के कर्मचारी और स्थानीय समुदाय के सदस्य शामिल हैं, जबकि कार्यों का नेतृत्व वे कोऑर्डिनेटर्स करते हैं, जो लंबे समय से इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं।
महाकुंभ में भी निभाई थी बड़ी भूमिका
इससे पहले इसी वर्ष 45 दिवसीय प्रयागराज महाकुंभ में अडानी ग्रुप ने ISKCON और गीता प्रेस के साथ मिलकर विशाल स्तर पर भोजन और सहायता कार्य किए थे। 21 जनवरी को खुद चेयरमैन गौतम अडानी ने भी वहां सेवा कार्य में हिस्सा लिया था।
पुरी में सेवा का भाव, मात्र सहभागिता नहीं
अगर महाकुंभ पैमाने की बात थी, तो रथ यात्रा आत्मीयता और श्रद्धा की मिसाल है। अदाणी ग्रुप केवल सेवा दे नहीं रहा, वह भारतीय संस्कृति, समुदाय और करुणा से जुड़े विकास के दृष्टिकोण को सशक्त कर रहा है।