भारत का माइनिंग और कंस्ट्रक्शन उपकरण (MCE) क्षेत्र अगले पांच वर्षों में $45 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है, जो वर्तमान में $16 बिलियन का है। सीआईआई और केयरनी द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, यह क्षेत्र 19 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ेगा।
सीआईआई (कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) और केयरनी द्वारा साझा की गई ‘विजन 2030’ रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अब दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ी से बढ़ता हुआ MCE बाजार बन गया है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी और जापान को भी पीछे छोड़ चुका है।
रिपोर्ट के अनुसार, माइनिंग और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र वैश्विक अर्थव्यवस्था में 16 प्रतिशत का योगदान करता है और इसके लिए 18 ट्रिलियन डॉलर का वैश्विक बाजार है। भारत में इस क्षेत्र का GDP में योगदान 22 प्रतिशत है, जो केवल चीन से पीछे है, और यह 70 मिलियन से अधिक रोजगार का समर्थन करता है।
इस क्षेत्र के विस्तार से भारत की अर्थव्यवस्था में FY30 तक $100 बिलियन से अधिक का योगदान होने का अनुमान है, जिसमें 20 मिलियन नई नौकरियों का सृजन होगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि इसके लिए नीति सुधारों, एकल नोडल एजेंसी के माध्यम से शासन को संस्थागत बनाने, PLI योजना, MCE निर्यात को बढ़ावा देने के लिए FTA के माध्यम से और भारत के प्रमाणन मानकों के लिए पारस्परिक मान्यता व्यवस्था जैसी पहल की आवश्यकता है।