लखनऊ : उत्तर प्रदेश में योगी सरकार सौर ऊर्जा के माध्यम से न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है, बल्कि युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार और कौशल विकास से भी जोड़ रही है। सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2027 तक राज्य में 30,000 युवाओं को सोलर एनर्जी सेक्टर में कौशल प्रशिक्षण देकर रोजगार से जोड़ा जाए। इस अभियान को गति देने के लिए उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास प्राधिकरण (यूपीनेडा) राष्ट्रीय लघु उद्यमिता एवं लघु व्यवसाय संस्थान और स्किल डेवलपमेंट मिनिस्ट्री भारत सरकार के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं। इन संस्थानों के माध्यम से युवाओं को सोलर स्किल्स की ट्रेनिंग दी जा रही है, जिससे वे आने वाले समय में आत्मनिर्भर बन सकें।
रोजगार के नए द्वार खोल रहा सौर ऊर्जा क्षेत्र
योगी सरकार का मानना है कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बढ़ती मांग से इंस्टॉलेशन टेक्नीशियन, सोलर पैनल मेंटेनेंस इंजीनियर, साइट सुपरवाइजर जैसे कई तकनीकी पदों पर युवाओं को रोजगार मिलेगा। इसके लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। यूपीनेडा और राष्ट्रीय लघु उद्यमिता एवं लघु व्यवसाय संस्थान और स्किल डेवलपमेंट मिनिस्ट्री ने सूर्य घर योजना के अंतर्गत चरणबद्ध तरीके से वेंडर्स को प्रशिक्षण प्रदान है। लगभग 1800 लोगों को इसके माध्यम से प्रशिक्षित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त प्रदेश में सूर्य मित्र प्रशिक्षण कार्यक्रम, सौर शॉप्स योजना और सूर्य सखी योजना भी संचालित की जा रही है। इनके माध्यम से न सिर्फ युवाओं को बल्कि ग्रामीण महिलाओं को भी प्रशिक्षित कर रोजगार से जोड़ने का मार्ग प्रशस्त किया जा रहा है। इन सभी योजनाओं से योगी सरकार का लक्ष्य है कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश को न केवल आत्मनिर्भर बनाया जाए, बल्कि महिलाओं और युवाओं को आर्थिक रूप से भी सशक्त किया जाए।
22,000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य
राज्य सरकार ने 2027 तक कुल 22,000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके तहत विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन लक्ष्य तय किए गए हैं। इसमें सोलर रूफटॉप (आवासीय) के लिए 4500 मेगावाट (20%), सोलर रूफटॉप (अनावासीय) के लिए 1500 मेगावाट (7%), पीएम कुसुम योजना के लिए 2000 मेगावाट (9%) और यूटिलिटी स्केल सोलर में सर्वाधिक 14,000 मेगावाट (64%) का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत किसानों को सौर पंप प्रदान किए जा रहे हैं, जिससे सिंचाई की लागत कम होगी और किसान ऊर्जा उत्पादन से अतिरिक्त आय भी प्राप्त कर सकेंगे। वहीं, रूफटॉप सोलर योजना के अंतर्गत आवासीय और अनावासीय भवनों की छतों पर सौर पैनल लगाकर लोग अपनी बिजली जरूरतें खुद पूरी कर सकेंगे।