प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सप्ताह सऊदी अरब के जेद्दा शहर के दो दिवसीय दौरे पर रहेंगे। अपने तीसरे कार्यकाल में यह उनका पहला सऊदी दौरा है, इसलिए दुनिया की निगाहें इस यात्रा पर टिकी हुई हैं। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब वैश्विक भू-राजनीतिक हालात तेजी से बदल रहे हैं और भारत, पश्चिम एशिया व यूरोप के बीच एक ऐतिहासिक व्यापार मार्ग — India-Middle East-Europe Economic Corridor (IMEC) — की कल्पना मूर्त रूप ले रही है।
IMEC: भारत की ‘न्यू सिल्क रूट’ की पहल
IMEC की घोषणा सितंबर 2023 में G20 समिट के दौरान की गई थी। यह गलियारा भारत को मध्य-पूर्व होते हुए यूरोप से जोड़ता है। यह मार्ग UAE, सऊदी अरब, जॉर्डन और इज़राइल से गुजरते हुए ग्रीस और इटली तक पहुंचता है। IMEC के जरिए मालवाहन लागत में 30% तक की कमी और समय में 40% तक की बचत संभव है।
जहां चीन का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) ऋण के बोझ से जूझ रहा है, वहीं भारत एक सुरक्षित, भरोसेमंद और कम खर्चीले विकल्प के रूप में IMEC को उभारना चाहता है।
रुकावटें और उम्मीदें
7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इज़राइल पर हमले ने पश्चिम एशिया की स्थिरता को झकझोर दिया। सऊदी अरब और इज़राइल के बीच संबंध सामान्य होने की संभावनाओं पर भी असर पड़ा। ऐसे में, कुछ समय के लिए ऐसा लगने लगा कि IMEC की योजना शायद ठंडे बस्ते में चली जाएगी।
लेकिन भारत ने कूटनीतिक रूप से इस परियोजना को फिर से सक्रिय करने की कोशिशें तेज कर दी हैं। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि भले ही आधिकारिक कार्य में धीमी प्रगति हुई हो, लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर और बिजली ग्रिड कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में अलग-अलग देशों द्वारा कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।
PM मोदी की सऊदी यात्रा क्यों है अहम?
भारत और सऊदी अरब के बीच पहले से ही $100 बिलियन का निवेश प्रस्तावित है, जिसे आगे बढ़ाने की जरूरत है। इस दौरे के दौरान रक्षा, ऊर्जा और व्यापार के क्षेत्रों में साझेदारी मजबूत करने की योजना है।
IMEC के लिए सऊदी अरब की भूमिका “एंकर” के रूप में देखी जा रही है। देश की Vision 2030 योजना और NEOM सिटी प्रोजेक्ट IMEC के सफल होने पर काफी हद तक निर्भर हैं। भारत की कई कंपनियां पहले से ही NEOM प्रोजेक्ट में निर्माण और डिज़ाइन से जुड़ी हैं।
भारत की रणनीतिक बढ़त
भारत, इज़राइल, सऊदी अरब, अमेरिका और यूरोपीय साझेदारों के साथ अपने मजबूत रिश्तों की बदौलत एक संतुलित मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से इस मुद्दे पर चर्चा की, जिसमें उन्होंने IMEC की आवश्यकता और सामर्थ्य को रेखांकित किया।
IMEC भारत के लिए सिर्फ एक व्यापारिक गलियारा नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर रणनीतिक बढ़त हासिल करने का अवसर है। यह चीन के प्रभुत्व वाले BRI का सशक्त विकल्प बन सकता है। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा इस दिशा में एक बड़ा कदम हो सकती है — बशर्ते कि क्षेत्र में स्थिरता बनी रहे और साझेदार देश समन्वित प्रयास करें।