मेरठ के मेडिकल थाना क्षेत्र से आई यह कहानी सिर्फ एक महिला की पीड़ा नहीं, बल्कि पूरे समाज के जमीर को झकझोर देने वाली है। एक बेटी, जिसने अपने सपनों को सजाकर ससुराल की चौखट पर कदम रखा, आज अपने ही पति की दरिंदगी का शिकार बनकर न्याय की भीख मांग रही है। अस्पताल मालिक के घर की बहू होने के बावजूद, वह इज्जत की रोटी के लिए तरस रही है। कभी जिसे अपना सबकुछ समझा, वही पति उसे पैसों और हवस के सौदे में ढकेलता रहा। वर्षों तक घर में शराब की महफिलें सजीं, और उन्हीं के बीच उसका जिस्म दोस्तों के सामने परोसा गया।
मगर यह कहानी सिर्फ अय्याशी तक सीमित नहीं रही। जब उसने विरोध किया, तो उसका पति उसकी अस्मत को हथियार बनाकर तलाक का खेल खेलने लगा। सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो और वीडियो वायरल कर दिए गए। एक नहीं, दो नहीं — एक महीने से लगातार उसे दुनिया के सामने नंगा किया जा रहा है। मीडियाकर्मियों तक को उसके निजी वीडियो भेजे गए, ताकि पत्नी की आत्मा को पूरी तरह कुचल दिया जाए। यह सब जानबूझकर किया गया, सिर्फ इसलिए कि वह टूट जाए, झुक जाए और खामोश हो जाए।
जब उसने आवाज़ उठाई, तो जवाब में उसे आठ दिनों तक घर में बंद कर दिया गया, पीटा गया, भूखा रखा गया। एक औरत की चीखें दीवारों में गूंजीं, लेकिन किसी ने नहीं सुना। थाने और साइबर थाने तक शिकायत की गई, लेकिन इंसाफ अभी भी गुम है। वह बहू, जो कभी घर की शान थी, आज बेइज्जती और दर्द का दूसरा नाम बन चुकी है। उसका गुनाह सिर्फ इतना था कि वह इंसानियत की उम्मीद रख बैठी थी — उस इंसान से, जिसे उसने अपना पति कहा था।
इस दर्द को पढ़कर अगर दिल नहीं कांपे, तो शायद हम भी उसी समाज का हिस्सा हैं जो औरत की चुप्पी को कमजोरी समझता है। यह घटना सिर्फ एक ‘केस’ नहीं, एक जिंदा चीत्कार है — जो हर इंसाफपसंद दिल से पूछ रही है: क्या एक औरत की इज्जत इतनी सस्ती हो गई है कि उसे बिकते देखकर भी हम खामोश रहें?