“क्या यही है हमारे समाज का सच?” UP की राजधानी लखनऊ की ये दिल दहला देने वाली खबर सिर्फ एक हत्या की नहीं, बल्कि उस सिस्टम की चुप्पी की कहानी है जहाँ महिलाएं आज भी महफूज़ नहीं हैं। एक ब्यूटीशियन, जो सिर्फ अपने काम पर निकली थी, उसे रास्ते से उठा लिया गया, चलती कार में रेप की कोशिश हुई, और जब उसने आवाज़ उठाई तो उसकी जान ले ली गई। सोचिए, किसी की बेटी, किसी की पत्नी, किसी की बहन….. बस विरोध करने की कीमत उसने अपनी ज़िंदगी से चुकाई। आइए जानते हैं पूरी घटना विस्तार से…
काम पर निकली थी, लेकिन वापस लौटना नसीब नहीं हुआ
छाया नाम की महिला, पेशे से ब्यूटीशियन थी। शुक्रवार की देर रात करीब 1 बजे वह अपनी बहन के साथ एक शादी समारोह में मेहंदी लगाने के लिए निकली थीं। इसी दौरान तीन युवक – अजय, विकास और आदर्श – कार लेकर आए और छाया व उसकी बहन को बैठा लिया। पहले तो लगा कि ये लोग उन्हें काम पर ही ले जा रहे हैं, लेकिन जैसे ही गाड़ी सुनसान रास्ते की ओर मुड़ी, सब कुछ बदल गया।
चलती कार में हैवानियत, फिर चाकू से हमला
तीनों युवकों ने रास्ते में दोनों बहनों के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी। जैसे ही उन्होंने इसका विरोध किया, माहौल तनावपूर्ण हो गया। बहन ने किसी तरह खुद को बचाया, लेकिन छाया ने जब ज़ोर से विरोध किया, तो एक आरोपी ने उसके गले पर चाकू से वार कर दिया। सब कुछ कुछ ही मिनटों में हुआ और छाया की मौके पर ही मौत हो गई।
ग्रामीणों की मदद से सामने आई सच्चाई
चीख-पुकार सुनकर आसपास के ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंचे। तब तक आरोपी फरार हो चुके थे। लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस जब पहुंची तो छाया की लाश कार के अंदर पड़ी थी और उसकी बहन सदमे में थी।
पति की तहरीर पर दर्ज हुआ केस
मृतका के पति मौनी लाल ने तीनों आरोपियों के खिलाफ तहरीर दी है। बंथरा पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि दो अब भी फरार हैं। पुलिस का कहना है कि जल्द ही दोनों को भी पकड़ लिया जाएगा।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट और जांच जारी
पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। रिपोर्ट के आधार पर आरोपियों पर हत्या, रेप की कोशिश और अन्य गंभीर धाराओं में कार्रवाई की जाएगी।
सुरक्षा को लेकर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर समाज में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं…क्या महिलाएं रात में काम पर नहीं जा सकतीं? क्या उनके लिए कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं? क्यों हर बार कानून तब हरकत में आता है जब कोई जान जा चुकी होती है?
ये सिर्फ छाया की कहानी नहीं…
ये कोई फिल्मी सीन नहीं, ये सच्चाई है हमारे आसपास की। सवाल ये नहीं कि आरोपी कौन हैं, सवाल ये है कि हम कब तक ऐसी खबरें पढ़ते रहेंगे और कुछ नहीं करेंगे? समाज, सिस्टम और कानून—तीनों को अब जवाब देना होगा। क्योंकि छाया की ये कहानी सिर्फ एक महिला की नहीं, ये हर उस लड़की, बहन और मां की कहानी है जो आज भी “ना” कहने की सजा भुगत रही हैं। क्या अब भी हम चुप रहेंगे?