Uttar Pradesh: संभल के सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क का मकान अब महज़ एक इमारत नहीं रह गया है, बल्कि यह बन चुका है कानूनी तकरार और सियासी तकरार का केंद्र। जब बेटे के निर्माण कार्य पर सवाल उठे तो पिता ममलुकुर्रहमान बर्क खुद मोर्चे पर उतरे और दावा किया कि मकान उनका है, सांसद का नहीं।
कानून की नजर में दावे नहीं, दस्तावेज
मगर अब DM कोर्ट ने उनकी अपील को खारिज कर साफ कर दिया है कि कानून की नजर में दावे नहीं, दस्तावेज चलते हैं।इस मामले में सांसद के पिता ममलुकुर्रहमान बर्क ने अपील में दावा किया था कि विवादित मकान जियाउर्रहमान बर्क के नाम पर नहीं है, बल्कि वह उनके पिता की निजी संपत्ति है।
क्या है मामला?
संभल नगर क्षेत्र में स्थित मकान को लेकर एसडीएम कोर्ट में पहले से ही सुनवाई चल रही है। इसी सुनवाई पर रोक लगाने के लिए सांसद के पिता ने DM कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें यह तर्क दिया गया था कि यह मकान जियाउर्रहमान बर्क का नहीं, बल्कि ममलुकुर्रहमान बर्क का है। उन्होंने दावा किया कि इस निर्माण को लेकर जो भी कार्रवाई हो रही है, वह गलत आधार पर की जा रही है।
कोर्ट ने क्या कहा?
DM कोर्ट ने उनकी दलीलों को खारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया कि इस अपील में कोई ठोस आधार नहीं है जिससे एसडीएम कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाई जाए। कोर्ट का मानना है कि मामला पहले से ही एक सक्षम स्तर पर विचाराधीन है, ऐसे में इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
आगे क्या?
अब संभावना जताई जा रही है कि ममलुकुर्रहमान बर्क इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं। वहीं, इस पूरे प्रकरण की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को एसडीएम कोर्ट में निर्धारित है, जहां मकान निर्माण से जुड़े सभी पहलुओं की विस्तार से सुनवाई की जाएगी।
राजनीतिक मायने
सपा सांसद से जुड़े इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। मकान निर्माण का यह विवाद ना सिर्फ प्रशासनिक, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का विषय बन गया है। विपक्ष इस मुद्दे को लेकर हमलावर हो सकता है, वहीं सपा समर्थकों का मानना है कि यह पूरा मामला राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है।
ऐसे में अब निगाहें 23 अप्रैल की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां यह स्पष्ट होगा कि मकान निर्माण को लेकर प्रशासनिक रुख क्या रहता है और क्या सांसद के पिता द्वारा हाईकोर्ट में अपील की जाएगी या नहीं। तब तक यह मामला संभल की सियासत में गर्माया रहेगा।