भारत अब सिर्फ स्मार्टफोन और दवाओं का निर्यातक नहीं रहा—अब वह मिसाइल, हेलिकॉप्टर और युद्धपोत जैसे उच्च तकनीक वाले हथियारों के वैश्विक बाजार में भी अपनी जगह बना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ नीति के तहत, भारत ने रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक नई रणनीति अपनाई है, जिसमें सस्ते और दीर्घकालिक ऋणों की पेशकश शामिल है।
भारत की नई रक्षा निर्यात रणनीति
भारत ने अपने राज्य-स्वामित्व वाले एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक (EXIM) की क्षमता को बढ़ाया है, ताकि वह उन देशों को दीर्घकालिक और कम ब्याज दर वाले ऋण प्रदान कर सके, जिनकी राजनीतिक या क्रेडिट जोखिम प्रोफाइल पारंपरिक वित्तपोषण तक पहुंच को सीमित कर सकती है। इस पहल का उद्देश्य उन सरकारों को लक्षित करना है जो लंबे समय से रूस पर हथियारों के लिए निर्भर रही हैं।
वैश्विक रक्षा बाजार में भारत की बढ़ती भूमिका
भारत का लक्ष्य 2029 तक अपने रक्षा निर्यात को दोगुना करके $6 बिलियन तक पहुंचाना है, जो वर्तमान में लगभग $3.5 बिलियन है। हाल ही में, भारत ने आर्टिलरी शेल्स और अधिक उन्नत उपकरणों का निर्यात किया है, और अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों से रुचि बढ़ रही है।
प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण और वित्तीय सहायता
भारत अपने हथियारों को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर पेश कर रहा है। उदाहरण के लिए, भारत 155 मिमी आर्टिलरी गोला-बारूद लगभग $300 से $400 प्रति पीस में बना सकता है, जबकि यूरोपीय समकक्षों की कीमत $3,000 से अधिक होती है। इसके अलावा, भारतीय कंपनियों ने लगभग $3 मिलियन में हॉवित्जर बेचे हैं, जो यूरोपीय निर्मित संस्करणों की तुलना में लगभग आधी कीमत है।
रणनीतिक साझेदारियों का विस्तार
भारत ब्राजील जैसे देशों के साथ मिसाइल और युद्धपोतों की बिक्री के लिए बातचीत कर रहा है। इस पहल के तहत, भारत ने ब्राजील में EXIM का एक कार्यालय खोला है, और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ने साओ पाउलो में एक विपणन कार्यालय स्थापित किया है।
भारत की यह नई रणनीति न केवल उसके रक्षा उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना रही है, बल्कि उसे उन देशों के लिए एक विश्वसनीय विकल्प भी बना रही है जो पारंपरिक हथियार आपूर्तिकर्ताओं से दूर जा रहे हैं। सस्ती कीमतों, वित्तीय सहायता और रणनीतिक साझेदारियों के माध्यम से, भारत वैश्विक रक्षा बाजार में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है।