Teenage Girls Aggression Linked to Western Diet: अगर आपकी टीनेज बेटी पिछले कुछ समय से ज्यादा गुस्सैल, चिड़चिड़ी और मूडी लग रही है, तो इसकी वजह सिर्फ हार्मोनल बदलाव या पढ़ाई का स्ट्रेस नहीं हो सकता। हाल ही में हुई एक स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है — टीनेज लड़कियों की डाइट यानी खान-पान का सीधा असर उनके मूड और व्यवहार पर पड़ सकता है।
क्या कहती है रिसर्च?
ईरान में की गई इस स्टडी में 12 से 18 साल की 670 किशोरियों की डाइट और बिहेवियर का विश्लेषण किया गया। रिसर्च में पाया गया कि जो लड़कियां ज्यादा मात्रा में प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड, रेड मीट, हाई-फैट स्नैक्स और शुगर वाले ड्रिंक्स लेती थीं, उनमें आक्रामकता (aggression) और चिड़चिड़ापन (irritability) ज्यादा देखने को मिला।
डाइट कैसे बदलती है मूड?
- ज्यादा शुगर और एडिटिव्स का असर
प्रोसेस्ड फूड्स में मौजूद हाई शुगर और प्रिज़र्वेटिव्स ब्रेन के केमिकल बैलेंस को बिगाड़ देते हैं। इससे मूड स्विंग्स, गुस्सा और एंग्जाइटी बढ़ सकती है। - पोषक तत्वों की भारी कमी
वेस्टर्न डाइट में विटामिन्स, मिनरल्स और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स की कमी होती है, जो दिमाग के हेल्दी डेवलपमेंट के लिए जरूरी हैं। इनकी कमी से डिप्रेशन और एग्रेसिव बिहेवियर देखने को मिलता है। - गट हेल्थ से जुड़ी मेंटल हेल्थ
प्रोसेस्ड फूड्स आंतों में हानिकारक बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं। गट और ब्रेन के बीच डायरेक्ट कनेक्शन होता है, जिससे आंतों की गड़बड़ी मूड पर सीधा असर डालती है।
क्या है समाधान?
हेल्दी डाइट को बढ़ावा दें
- ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और नट्स को रोज़ाना की डाइट में शामिल करें।
- ओमेगा-3 से भरपूर चीज़ें जैसे अलसी के बीज, अखरोट और मछली फायदेमंद हैं।
प्रोसेस्ड फूड्स से दूरी बनाएं
- कोल्ड ड्रिंक्स, चिप्स, पैक्ड स्नैक्स और बर्गर-पिज़्ज़ा जैसी चीज़ों को लिमिट करें।
- कोशिश करें कि बच्ची घर का बना पौष्टिक खाना ही खाए।
पूरी नींद और एक्टिव लाइफस्टाइल
- नींद की कमी और शारीरिक गतिविधि की कमी भी मेंटल हेल्थ को बिगाड़ती है।
- रूटीन सेट करें जिसमें पर्याप्त नींद और हल्की-फुल्की एक्सरसाइज शामिल हो।
टीनेज में खानपान की अहमियत
टीनेज उम्र न सिर्फ शरीर बल्कि दिमागी और भावनात्मक विकास के लिए भी बेहद संवेदनशील समय होता है। इस उम्र में अगर डाइट सही रखी जाए, तो न सिर्फ शारीरिक बल्कि मेंटल हेल्थ भी बेहतर की जा सकती है।
इस स्टडी से साफ है कि हम जो खाते हैं, वही हमारे दिमाग और व्यवहार को गहराई से प्रभावित करता है।
कब डॉक्टर की सलाह जरूरी है?
अगर आपको लगे कि आपकी बेटी का व्यवहार बहुत ज्यादा बदल रहा है, वह बेहद गुस्सैल हो गई है, या उसका मूड लगातार डाउन रहता है — तो खानपान सुधारने के साथ-साथ किसी मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट या डॉक्टर से सलाह लेना भी जरूरी है।