नई दिल्ली: वक्फ संशोधन बिल 2025 के खिलाफ देशभर में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने एक नई मुहिम की घोषणा की है। बोर्ड ने देशवासियों से अपील की है कि वे 30 अप्रैल को रात 9 बजे अपने घरों और दफ्तरों की बिजली बंद करके इस कानून के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करें। AIMPLB ने इसे एक शांतिपूर्ण और प्रतीकात्मक विरोध का हिस्सा बताया है, जिसके जरिए वे सरकार को यह संदेश देना चाहते हैं कि यह कानून मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता और संवैधानिक अधिकारों पर हमला है।
वक्फ संरक्षण सप्ताह और मौन प्रदर्शन
AIMPLB ने 18 अप्रैल तक ‘वक्फ संरक्षण सप्ताह’ मनाने का ऐलान किया है, जिसके तहत देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसकी शुरुआत 22 अप्रैल को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में एक बड़े मौन प्रदर्शन के साथ होगी। बोर्ड ने इस मौन प्रदर्शन में भारी संख्या में लोगों से शामिल होने की अपील की है, ताकि सरकार तक उनकी आवाज पहुंच सके। AIMPLB के महासचिव मौलाना मुहम्मद फजलुर रहीम मुजद्दिदी ने कहा, “यह कानून इस्लामी मूल्यों, शरिया, धार्मिक स्वतंत्रता और संविधान की बुनियाद पर हमला है। हम इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे।”
राष्ट्रपति को ज्ञापन और बड़े प्रदर्शन
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने देश के प्रमुख जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन आयोजित करने की योजना बनाई है, जहां से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन सौंपा जाएगा। इसके अलावा, लखनऊ, कानपुर समेत 50 प्रमुख शहरों में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की जाएंगी, जिसमें इस कानून के खिलाफ तथ्यों और तर्कों को जनता के सामने रखा जाएगा। बोर्ड ने राज्यों की राजधानियों और बड़े शहरों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और प्रतीकात्मक गिरफ्तारियां देने की भी घोषणा की है, ताकि इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उभारा जा सके।
वक्फ बिल को लेकर क्यों है विरोध?
वक्फ संशोधन बिल 2025 को संसद के दोनों सदनों में पारित कर दिया गया है और अब यह राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए लंबित है। इस कानून में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने, वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने और संपत्ति दान करने वालों को कम से कम पांच साल तक इस्लाम का पालन करने का प्रमाण देने जैसे प्रावधान शामिल हैं। AIMPLB और कई विपक्षी दल इसे संविधान के खिलाफ और मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता पर हमला मानते हैं। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसे “मस्जिदों, कब्रिस्तानों और मदरसों को छीनने की साजिश” करार दिया है, जबकि कांग्रेस ने इसे संविधान पर “खुला हमला” बताया है।
पहले भी हो चुके हैं प्रदर्शन
इससे पहले, 4 अप्रैल को देशभर में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन देखे गए थे, जिसमें कोलकाता, अहमदाबाद, चेन्नई, रांची और लखनऊ जैसे शहरों में हजारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर इस कानून का विरोध किया था। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और सीतापुर जैसे जिलों में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर कानूनी नोटिस जारी किए और कई लोगों को हिरासत में लिया गया। दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी, और संवेदनशील इलाकों में ड्रोन और सीसीटीवी से निगरानी की गई थी।
आंदोलन जारी रहेगा – AIMPLB
AIMPLB ने साफ कर दिया है कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक कि यह कानून पूरी तरह से रद्द नहीं हो जाता। बोर्ड ने मुस्लिम समुदाय, खासकर युवाओं, से शांतिपूर्ण और अनुशासित तरीके से इस आंदोलन में हिस्सा लेने की अपील की है। यह मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है, जहां AIMIM और कांग्रेस सांसदों ने इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। अब देखना यह है कि क्या सरकार इस बढ़ते विरोध को देखते हुए कोई कदम उठाएगी, या यह आंदोलन और तेज होगा?