Uttar Pradesh: मेरठ से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां बीजेपी नेता अंकित मोतला के होटल में जुआ चल रहा था, और ये सब दौराला थानेदार के संरक्षण में हो रहा था! पुलिस ने जब DIG और SSP के आदेश पर SP क्राइम के साथ छापा मारा, तो 31 जुआरी गिरफ्तार हुए और उनसे 17 लाख रुपये की नकदी बरामद की गई। इस मामले में 21 वाहन और कई मोबाइल फोन भी जब्त किए गए। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इस पूरे गोरखधंधे में थानेदार उत्तमसिंह राठौड़ भी शामिल थे, जिन्हें लाइन हाजिर कर दिया गया है और अब उनकी विभागीय जांच चल रही है। वहीं, बीजेपी नेता अंकित मोतला इस छापे के बाद से फरार हो गए हैं। अब सवाल यह है कि क्या इस मामले में असली आरोपी को सजा मिलेगी या फिर ये सब कुछ दब जाएगा?
जानें पूरी कहानी का सच!
आइए जानते हैं पूरी कहानी…. दरअसल, मेरठ पुलिस ने DIG और SSP के आदेश पर SP क्राइम के साथ छापा मारा। छापे के बाद पुलिस ने 31 जुआरियों को गिरफ्तार किया और उनके पास से 17 लाख रुपये की नकदी, 21 वाहन और दर्जनों मोबाइल फोन जब्त किए। पुलिस के मुताबिक, यह जुआ लंबे समय से अंकित मोतला के होटल में चल रहा था, और थानेदार उत्तमसिंह राठौड़ की मदद से यह सब बिना किसी रुकावट के चलता रहा।
SP क्राइम ने तुरंत मारा छापा
जब यह मामला सामने आया, तो स्थानीय प्रशासन में हड़कंप मच गया। DIG और SSP ने मामले की गंभीरता को देखते हुए SP क्राइम को तुरंत छापा मारने के आदेश दिए। छापेमारी के दौरान जब जुआरियों और उनके उपकरणों को जब्त किया गया, तो यह साफ हो गया कि ये जुआ खेल सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर चल रहा था।
ताकतवर मंत्री के करीबी रिश्तेदार
बीजेपी नेता अंकित मोतला का नाम भी इस पूरी साजिश में सामने आया। उनका होटल दादरी इलाके में स्थित था, और यहां पर जुआ के अलावा अन्य अवैध गतिविधियां भी चल रही थीं। मोतला की मां जिला पंचायत सदस्य हैं, और वह एक ताकतवर मंत्री के करीबी रिश्तेदार माने जाते हैं। इस कारण से उनकी गिरफ्तारी और इस पूरे मामले की जांच में राजनीतिक दबाव का सवाल भी उठने लगा।
थानेदार उत्तमसिंह राठौड़ लाइन हाजिर
छापे के बाद अंकित मोतला फरार हो गए हैं और पुलिस उनकी तलाश में जुटी है। वहीं, थानेदार उत्तमसिंह राठौड़ को लाइन हाजिर कर दिया गया है और उनकी विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अगर इस मामले में कोई भी पुलिसकर्मी शामिल पाया जाता है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सत्ता-पुलिस की ‘मिलीभगत’!
इस पूरे घटनाक्रम ने सत्ता और पुलिस के गठजोड़ को उजागर किया है, और अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या यह सिर्फ एक स्थानीय घटना है या फिर इससे जुड़े कुछ और बड़े मामले भी सामने आ सकते हैं। क्या इस छापे के बाद जो खुलासे हुए हैं, वो सत्ता में बैठे लोगों तक भी पहुंचेंगे? या फिर जैसे ही मामला शांत होगा, इसे दबा दिया जाएगा? यह मामला अब न केवल पुलिस और प्रशासन के लिए, बल्कि राजनीतिक महकमे के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन चुका है।