नई दिल्ली, 2 अप्रैल: वैश्विक रेटिंग एजेंसी Moody’s ने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर एक सकारात्मक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2025-26 में 6.5% की दर से विकास करेगा, जो उन्नत और उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले G-20 देशों में सबसे तेज़ होगा। यह आर्थिक वृद्धि कर सुधारों और मौद्रिक नीति में ढील से समर्थित होगी, जिससे देश में पूंजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा और वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति मजबूत बनी रहेगी।
मजबूत घरेलू बाजार और नीतिगत स्थिरता भारत की ताकत
Moody’s ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत और ब्राजील जैसी बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के बीच भी पूंजी को आकर्षित करने और बनाए रखने में सक्षम हैं। भारत की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा घरेलू बाजार पर आधारित है, जिससे यह बाहरी आर्थिक झटकों से सुरक्षित रहती है।
रिपोर्ट की मुख्य बातें:
- भारत की विकास दर: 2024-25 में 6.7% से घटकर 2025-26 में 6.5% रहने का अनुमान।
- मुद्रास्फीति: औसतन 4.5% रहने की संभावना, जो पिछले साल 4.9% थी।
- मजबूत आर्थिक आधार: भारत का ‘External Vulnerability Indicator’ (बाहरी वित्तीय अस्थिरता संकेतक) मात्र 61% है, जो दिखाता है कि भारत वैश्विक वित्तीय झटकों से अपेक्षाकृत सुरक्षित है।
- रुपये की मजबूती: भारत की अधिकांश विदेशी देनदारियां घरेलू मुद्रा में हैं, जिससे मुद्रा विनिमय जोखिम (Exchange Rate Risk) कम होता है।
नीतियों से मिलेगी आर्थिक रफ्तार
भारतीय सरकार द्वारा 2025-26 के बजट में इनकम टैक्स छूट को ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹12 लाख कर दिया गया है, जिससे ₹1 लाख करोड़ का टैक्स लाभ मध्यम वर्ग को मिला है। यह घरेलू उपभोग को बढ़ाएगा और अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा भरेगा।
इसके अलावा, RBI ने फरवरी में रेपो रेट 25 बेसिस प्वाइंट घटाकर 6.25% कर दिया था और 9 अप्रैल को होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में और कटौती की उम्मीद है। इससे ऋण सस्ता होगा, जिससे निवेश और उपभोग को बढ़ावा मिलेगा।
अमेरिकी नीतियों का असर, लेकिन भारत सुरक्षित
Moody’s ने कहा कि अमेरिका की बदलती नीतियां वैश्विक पूंजी प्रवाह, व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित कर सकती हैं। हालांकि, भारत और ब्राजील जैसी बड़ी और विविधीकृत अर्थव्यवस्थाएं इस जोखिम को झेलने में सक्षम हैं।
Moody’s की रिपोर्ट में कहा गया है कि “भारत की गहरी घरेलू पूंजी बाजार व्यवस्था, मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार और नीतिगत स्थिरता इसे बाहरी वित्तीय दबावों से बचाती है।”
एशिया-प्रशांत क्षेत्र को अमेरिका-चीन व्यापार से खतरा
Moody’s ने यह भी चेतावनी दी कि अमेरिकी टैरिफ (आयात शुल्क) बढ़ने से एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हो सकती हैं। हालांकि, भारत जैसे बड़े और घरेलू खपत पर आधारित देशों पर इसका असर सीमित रहेगा।