साल 2015 में जब एस.एस. राजामौली की फिल्म ‘बाहुबली: द बिगिनिंग’ सिनेमाघरों में आई, तब शायद ही किसी ने अंदाजा लगाया होगा कि ये सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा का एक युगांतकारी मोड़ बनने वाली है। उस समय जहां बॉलीवुड ‘दंगल’, ‘सुल्तान’ या दक्षिण का सिनेमा ‘पुष्पा’ और ‘KGF’ जैसी फिल्मों से जाना जाता था, वहीं ‘बाहुबली’ ने पैन इंडिया फिल्मों का एक नया दौर शुरू कर दिया।
बाहुबली बनी भारत की पहली 1000 करोड़ क्लब वाली फिल्म!
2017 में ‘बाहुबली: द कन्क्लूज़न’ ने जबरदस्त ओपनिंग के साथ सिनेमाघरों में एंट्री मारी, तो बॉक्स ऑफिस पर सुनामी ला दी। फिल्म ने कुछ ही दिनों में दुनियाभर में 1000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया—और बन गई भारत की पहली फिल्म जिसने यह उपलब्धि हासिल की। और रुकिए… पूरी बॉक्स ऑफिस रेस में इसने ₹1810 करोड़ का वर्ल्डवाइड कलेक्शन किया। हिंदी वर्जन में अकेले ₹510.90 करोड़ की कमाई—ये उस दौर के लिए बिल्कुल अभूतपूर्व था।
पैन इंडिया फिल्मों का जनक
‘बाहुबली’ को साउथ की फिल्म समझना एक भूल होगी। ये सच्चे मायनों में पहली पैन इंडिया फिल्म थी। इसे तेलुगू और तमिल में शूट किया गया, और फिर हिंदी, मलयालम, कन्नड़ सहित कई भाषाओं में डब कर पूरे देश में रिलीज़ किया गया। इसकी कहानी, विजुअल्स, म्यूजिक और कैरेक्टर्स हर कोने में दिलों पर छा गए। फिल्म का पहला भाग जहां ₹180 करोड़ की लागत में बना और ₹650 करोड़ कमाए, वहीं दूसरा भाग ₹250 करोड़ में बना और इतिहास रच दिया।
प्रभास से लेकर राजामौली तक, हर कोई बन गया स्टार
इस फिल्म ने प्रभास को पूरे देश का सुपरस्टार बना दिया। राणा डग्गुबती, अनुष्का शेट्टी, तमन्ना भाटिया, रम्या कृष्णन, सत्यराज जैसे कलाकारों की परफॉर्मेंस को दर्शकों ने सर-आंखों पर बिठाया। वहीं एस.एस. राजामौली को इंडियन सिनेमा का मास्टरक्राफ्ट्समैन कहा जाने लगा।
सिर्फ कमाई नहीं, टिकट भी रिकॉर्ड तोड़
फिल्म ने अपने थिएटर रन में करीब 105 मिलियन टिकट्स बेचे, जो भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। और तो और, रिलीज़ के सिर्फ तीन दिन में ही फिल्म ने ₹507 करोड़ की कमाई कर सभी को चौंका दिया था।
और फिर इतिहास बना…
2017 में बना यह रिकॉर्ड 2023 तक अटूट रहा, जब तक कि शाहरुख खान की ‘पठान’ ने कुछ हद तक उसे चुनौती नहीं दी। लेकिन ‘बाहुबली’ की जो विरासत है, वो सिर्फ कमाई तक सीमित नहीं, बल्कि उसने भारतीय सिनेमा को विश्व मंच पर एक नई पहचान दी।
तो अगली बार जब आप पूछें, “कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा?”, तो याद रखिए—यह सिर्फ सवाल नहीं, एक क्रांति की शुरुआत थी।