Yogi Adityanath Birthday Special: आज (5 जून 2025) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनके जीवन की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है – एक गांव का लड़का, जो पढ़ाई में अच्छा था, अचानक साधु बन गया… और फिर सीधा देश के सबसे बड़े राज्य का मुख्यमंत्री।
तो चलिए, जानते हैं कि कैसे अजय बिष्ट से योगी आदित्यनाथ बनने और फिर दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने तक का ये सफर तय हुआ।
बचपन: पहाड़ों से शुरू हुई कहानी
योगी आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह बिष्ट है। उनका जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के एक छोटे से गांव पंचूर में हुआ था। उनके पिता, आनंद सिंह बिष्ट, फॉरेस्ट विभाग में अफसर थे और मां सावित्री देवी, एक धार्मिक महिला थीं। घर में सात भाई-बहनों में अजय पांचवें नंबर पर थे। गांव के सरकारी स्कूल से पढ़ाई शुरू की और फिर गढ़वाल यूनिवर्सिटी से गणित में बीएससी किया। पढ़ाई में तेज़ थे और सपना था – प्रोफेसर बनने का।
साधु बनने का मोड़
साल 1993 में एमएससी की पढ़ाई के दौरान अजय बिष्ट गोरखपुर पहुंचे। वहां गोरखनाथ मंदिर में उनका आना-जाना शुरू हुआ और धीरे-धीरे उनका मन वही रमने लगा। फिर 15 फरवरी 1994 को उन्होंने गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ से दीक्षा ली और संन्यास ले लिया। इसी के साथ अजय बिष्ट बन गए ‘योगी आदित्यनाथ’।
26 साल की उम्र में सांसद
साल 1998 में योगी आदित्यनाथ को उनके गुरु ने गोरखपुर से लोकसभा चुनाव लड़वाया। और चौंकाने वाली बात ये थी कि सिर्फ 26 साल की उम्र में वो चुनाव जीत भी गए। इसके बाद उन्होंने लगातार 1999, 2004, 2009, 2014 और 2017 में भी जीत दर्ज की। यानी एक बार नहीं, पूरे पांच बार लोकसभा सांसद बने। इतनी कम उम्र में इतनी पॉपुलैरिटी, ये कम ही देखने को मिलता है।
हिंदुत्व की राजनीति और संगठन निर्माण
राजनीति में आते ही योगी ने सिर्फ सांसद बनकर बैठना नहीं चुना, बल्कि वो ज़मीनी स्तर पर हिंदू युवाओं को संगठित करने में जुट गए। उन्होंने साल 2002 में ‘हिंदू युवा वाहिनी’ नाम का संगठन बनाया, जो अब यूपी के हर गांव-शहर में काम करता है। वे धर्मांतरण के खिलाफ, घर वापसी के पक्ष में, और हिंदू संस्कृति की रक्षा के लिए हमेशा मुखर रहे। इसके चलते उन्हें कई बार विवादों का सामना भी करना पड़ा, लेकिन वो कभी पीछे नहीं हटे।
साधु की तरह जीवन, राजा की तरह प्रशासन
योगी आदित्यनाथ का जीवन आज भी बहुत साधारण है।
- वे सुबह 3 बजे उठ जाते हैं।
- योग, पाठ, गौसेवा करते हैं।
- फिर जनता दरबार लगाते हैं, जहां आम लोग सीधे उनसे मिलते हैं।
- दिनभर अफसरों के साथ मीटिंग्स, योजनाओं की समीक्षा, और प्रदेश का दौरा करते रहते हैं।
एक तरफ उनका संत रूप, दूसरी ओर प्रशासक की कठोरता – यही उनका असली चेहरा है।
2017 में बना इतिहास
साल 2017 में बीजेपी को उत्तर प्रदेश में बड़ी जीत मिली। तब सबको चौंकाते हुए पार्टी ने योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बना दिया। फिर 2022 में एक बार फिर से बीजेपी ने बड़े बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की – और योगी दोबारा मुख्यमंत्री बने।
👉 वे यूपी के पहले ऐसे मुख्यमंत्री बने, जो लगातार दो बार कार्यकाल पूरा कर रहे हैं।
उपलब्धियां जो उन्हें अलग बनाती हैं
- कानून-व्यवस्था में सुधार (एनकाउंटर नीति, माफिया विरोधी अभियान)
- बड़े प्रोजेक्ट्स: पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, डिफेंस कॉरिडोर, नए एयरपोर्ट
- राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका
- कोविड-19 प्रबंधन में मॉडल बन गया यूपी
- ODOP स्कीम, जिससे कारीगरों और MSMEs को मिला सहारा
- बिजली, सड़क, पानी जैसे मूलभूत कामों में तेज़ी
आलोचनाएं भी कम नहीं
योगी आदित्यनाथ को कई बार संप्रदायिक भाषणों और मुस्लिम विरोधी छवि के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा। लेकिन वो अपने स्टैंड पर हमेशा डटे रहे। उनके समर्थक उन्हें “हिंदुत्व का चेहरा” मानते हैं, वहीं आलोचक उन्हें ध्रुवीकरण की राजनीति का प्रतीक बताते हैं।
एक लेखक भी
कम ही लोग जानते हैं कि योगी आदित्यनाथ कई किताबें भी लिखते हैं। वे धर्म, योग, और भारतीय संस्कृति पर लिखते रहते हैं। उनका लेखन गोरक्षपीठ की परंपरा का हिस्सा है।
साधु का संयम और प्रशासक का अनुशासन
योगी आदित्यनाथ का जीवन एक अनूठा संगम है – साधु का संयम और प्रशासक का अनुशासन। आज जब वे 53 साल के हो रहे हैं, तो ये कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने भारतीय राजनीति में “साधु से मुख्यमंत्री” बनने की एक नई मिसाल पेश की है। उनकी कहानी सिर्फ राजनीति की नहीं, आस्था, नेतृत्व, और बदलाव की कहानी है।