“अभी तो हम जवान हैं…” कहने वालों, ज़रा घुटनों से पूछो, क्या वो भी यही सोचते हैं?

30 की उम्र… सुनने में जवानी की शुरुआत लगती है, लेकिन हकीकत में आज यही उम्र घुटनों की बर्बादी की कहानी बनती जा रही है। वो उम्र जिसमें पहले लोग मीलों पैदल चलते थे, अब ऑफिस की कुर्सी और स्क्रीन के सामने बैठे-बैठे घुटने जवाब देने लगे हैं।

कम उम्र में घुटनों के दर्द की वजह क्या है?

गलत पोस्चर: घंटों कुर्सी पर बैठकर काम करने की आदत, ऊपर से बैक को सीधा रखने का होश ही नहीं।
बढ़ता वजन: पेट के साथ-साथ घुटनों पर भी दबाव बढ़ता है, cartilage घिसता है और दर्द शुरू।
पोषण की कमी: दूध नहीं, प्रोटीन नहीं, धूप से भागते हैं, फिर विटामिन D की शिकायत करते हैं।
एक्सरसाइज की कमी: न चलना, न दौड़ना, और जब कभी उठे भी, तो एक्सरसाइज भी गलत फॉर्म में!
फैशन vs. फंक्शन: हाई हील्स, पतले सोल वाले जूते—घुटनों की तबाही के सबसे स्टाइलिश हथियार!

घुटनों को बचाना है तो ये करें

वजन कंट्रोल में रखें – मोटापा सिर्फ लुक्स ही नहीं, जोड़ों का दुश्मन भी है।
वॉकिंग, योग और स्ट्रेचिंग – घुटनों को चलाते रहो, वरना जाम लग जाएगा।
हेल्दी डाइट – दूध, दही, मछली, नट्स – ये सब सिर्फ शरीर नहीं, joints भी मजबूत करते हैं।
पानी भरपूर पिएं – शरीर हाइड्रेटेड रहेगा तो जोड़ भी लुब्रिकेटेड रहेंगे।
आरामदायक जूते पहनें – ट्रेंडिंग नहीं, ट्रस्टेड फुटवियर चुनिए।
हर 30 मिनट में मूव करें – स्टैच्यू नहीं हैं आप, थोड़ा हिलिए, डुलिए।
तेल मालिश – सरसों या नारियल के तेल से हल्की मसाज करें, joints आपको थैंक यू कहेंगे।

30 की उम्र में घुटनों का जवाब देना “नॉर्मल” नहीं है, ये आपकी लाइफस्टाइल का रिएक्शन है। शरीर आपकी ग़लतियों का हिसाब रखता है….. जो बोओगे वही काटोगे। तो अब भी वक्त है—बैठने से ज़्यादा चलने पर भरोसा रखो, वरना घुटने बगावत कर देंगे!

Disclaimer: यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।

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