अमेरिका से तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण: 26/11 हमलों में शामिल मुख्य साज़िशकर्ता अब भारत की जेल में
भारत के सबसे भीषण आतंकी हमलों में से एक 26/11 के आरोपी ताहव्वुर राणा को आखिरकार अमेरिका से भारत लाया गया है। राणा और डेविड हेडली की साज़िश ने 166 लोगों की जान ली थी। अब राणा भारत की न्यायिक प्रक्रिया का सामना करेगा।
मोदी सरकार का संकल्प: “सातवें पाताल में भी हों, नहीं छोड़ेंगे”
प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में सत्ता में आने के बाद कई मोस्ट वांटेड और आतंकियों को विदेशों से भारत वापस लाने का अभियान शुरू किया। ताहव्वुर राणा की वापसी इसी संकल्प का हिस्सा है।
2014 से अब तक भारत वापस लाए गए प्रमुख भगोड़े और आतंकी:
🔹 जगतर सिंह तारा (थाईलैंड से प्रत्यर्पित, 2015)
पूर्व पंजाब CM बेअंत सिंह की हत्या में दोषी। जेल से 104 फुट लंबी सुरंग बनाकर फरार हुआ था।
🔹 बन्नांजे राजा (मोरक्को से प्रत्यर्पित, 2015)
दक्षिण भारत का कुख्यात गैंगस्टर, व्यापारी की हत्या के मामले में उम्रकैद।
🔹 छोटा राजन (इंडोनेशिया से प्रत्यर्पित, 2015)
दाऊद इब्राहिम का साथी, हत्या और वसूली जैसे गंभीर अपराधों में शामिल।
🔹 अनूप चेतिया (बांग्लादेश से प्रत्यर्पित, 2015)
ULFA का महासचिव, भारत विरोधी गतिविधियों और अपहरण के आरोप में।
🔹 विली नरुएनार्टवानिच (थाईलैंड से प्रत्यर्पित, 2015)
पूर्वोत्तर भारत में हथियारों की तस्करी में लिप्त, भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश में शामिल।
🔹 अब्दुल वहीद सिद्दीबापा (UAE से प्रत्यर्पित, 2016)
इंडियन मुजाहिदीन का सदस्य, भारत में बम धमाकों की साजिश में लिप्त।
🔹 क्रिश्चियन मिशेल (UAE से प्रत्यर्पित, 2018)
अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले का बिचौलिया, भ्रष्टाचार के आरोप में।
🔹 राजीव सक्सेना (UAE से प्रत्यर्पित, 2019)
अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में आरोपी, बाद में सरकार के पक्ष में बना गवाह।
🔹 दीपक तलवार (UAE से प्रत्यर्पित, 2019)
कॉरपोरेट लॉबिस्ट, विदेश से अवैध फंडिंग का आरोप।
🔹 संजय चावला (UK से प्रत्यर्पित, 2020)
मैच फिक्सिंग मामले में वांटेड, 2000 में दक्षिण अफ्रीका सीरीज़ से जुड़ा मामला।
🔹 रवि पुजारी (सेनेगल से प्रत्यर्पित, 2020)
मुंबई का गैंगस्टर, 2015–2018 में कर्नाटक के नेताओं को धमकी देकर चर्चा में आया।
🔹 ताहिर मर्चेंट (UAE से प्रत्यर्पित, 2022)
1993 मुंबई बम धमाकों में शामिल, दाऊद और टाइगर मेनन के करीबी।
मोदी सरकार की नीति: आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस
ताहव्वुर राणा की वापसी भारत की कूटनीतिक सफलता है। यह मोदी सरकार के उस संकल्प को दर्शाता है कि आतंक के किसी भी आक़ा को बख्शा नहीं जाएगा — चाहे वो कहीं भी छुपा हो।