हाल ही में हुई जहरीली शराब त्रासदी के मद्देनजर, जिसमें 66 लोगों की जान चली गई, मद्रास उच्च न्यायालय ने बुधवार को तमिलनाडु सरकार को कल्लाकुरिची जिले के कलवरायण पहाड़ियों में कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया और पूछा कि क्या लोगों को वहां बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

पहाड़ी क्षेत्र में और इसके आसपास अवैध शराब बनाए जाने की रिपोर्ट मिलने के बाद न्यायमूर्ति एस एम सुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति सी कुमारप्पन की खंडपीठ ने मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई कार्यवाही पर आगे अंतरिम आदेश पारित करते हुए यह निर्देश दिया।

पीठ ने कहा, “हमें उस क्षेत्र में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं की कमी के बारे में कई मीडिया रिपोर्ट और वृत्तचित्र मिले हैं। सरकार को यह स्पष्ट करना है कि (i) क्या सरकारी कल्याणकारी योजनाएँ उस इलाके के लोगों को उपलब्ध कराई जाती हैं? (ii) क्या उन्हें सभी बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध हैं? (iii) इन क्षेत्रों के लोग, ज़्यादातर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से संबंधित हैं।

‘‘इसलिए सरकार को यह बताना होगा कि इन लोगों के उत्थान और कल्याण के लिए विशेष रूप से क्या प्रयास किए गए हैं?’’ अदालत ने पहले उन रिपोर्टों का हवाला दिया था जिनमें कहा गया था कि क्षेत्र में आर्थिक पिछड़ेपन और बेरोजगारी के कारण लोग अवैध शराब बनाने के लिए मजबूर हैं।

अदालत ने वरिष्ठ वकील के.आर. तमिलमणि के एक साक्षात्कार का भी हवाला दिया था, जिसमें उन्होंने कल्लाकुरिची जिले के कलवरायण पहाड़ियों में मलयाली आदिवासी समुदाय का उल्लेख किया था और कहा था कि विजयनगर साम्राज्य के सम्राट कृष्ण देवराय ने “तीन मलयाली जागीरदारों” के पूर्वजों को सैकड़ों गांव उपहार में दिए थे।

उत्सव प्रस्ताव

इन तीन जागीरदारों ने 25 जून 1976 तक भारतीय क्षेत्र में शामिल होने से इनकार कर दिया और केवल आपातकाल के दौरान तमिलनाडु सरकार ने उन्हें उनके कब्जे वाले क्षेत्रों को राज्य को सौंपने के लिए मजबूर किया।

पीठ ने कहा कि जब चुनाव आयोग देश के सबसे दूरदराज के इलाकों में जाकर यह सुनिश्चित करता है कि हर कोई अपने मताधिकार का प्रयोग करे, तो इसी तरह राज्य को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि सुविधाएं और कल्याणकारी योजनाएं इन लोगों तक पहुंचें। पीठ ने कहा कि यह राज्य का संवैधानिक कर्तव्य और जनादेश है।

पीठ ने कहा, “इसलिए, हम राज्य से एक व्यापक रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद इन मुद्दों पर विचार करना उचित समझते हैं।”

उच्च न्यायालय ने कहा कि मीडियाकर्मियों सहित सभी इच्छुक व्यक्ति वर्तमान रिट याचिका के संबंध में अपनी रिपोर्ट या इनपुट प्रस्तुत करने के लिए स्वतंत्र हैं, जिससे न्यायालय क्षेत्र में सामाजिक और आर्थिक विकास को शीघ्रता से सुनिश्चित करने के लिए मुद्दों का समाधान कर सकेगा।

पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई 24 जुलाई के लिए स्थगित कर दी।

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