Hormones Vs Your Skin: “हर महीने स्किन क्यों बिगड़ जाती है? क्या सिर्फ मूड स्विंग्स और क्रैम्प्स ही काफी नहीं थे?” ये सवाल शायद हर उस लड़की या महिला ने खुद से पूछा होगा, जो हर महीने hormonal तूफान से गुज़रती है। पेट में ऐंठन, मूड में उथल-पुथल, चिड़चिड़ापन — और ऊपर से पिंपल्स की बाढ़ और स्किन का बेजान दिखना। कभी गौर किया है कि आपकी स्किन भी menstrual cycle के हिसाब से बदलती है? यह कोई संयोग नहीं, बल्कि एक साइंटिफिक सच है।

क्यों होता है ऐसा?
इसका जवाब है — हॉर्मोनल बदलाव। हमारा शरीर पीरियड साइकल के चार अलग-अलग फेज से गुजरता है, और हर फेज में हार्मोन का लेवल बदलता है। यही बदलाव हमारी स्किन पर भी असर डालता है।

ऐसे में अगर हम इन चार फेज को समझकर उसी के अनुसार स्किन की देखभाल करें, तो स्किन से जुड़ी दिक्कतें 70-80% तक कम हो सकती हैं। तो आइए जानते हैं — हर फेज में हमारी स्किन क्या कहती है, और हमें उसे कैसे जवाब देना चाहिए…

1. मेंस्ट्रुअल फेज (दिन 1-5)

क्या होता है:
एस्ट्रोजन सबसे कम — स्किन बेजान, सूखी और थकी हुई लगती है।

क्या करें:

  • क्रीम बेस्ड जेंटल क्लींजर से चेहरा धोएं
  • हायालूरोनिक एसिड सीरम लगाएं
  • मोटी मॉइस्चराइज़र से स्किन को लॉक करें

Pro Tip: इस समय स्किन को soothe करना सबसे ज़रूरी है।

2. फॉलिक्युलर फेज (दिन 6-14)

क्या होता है:
एस्ट्रोजन बढ़ता है — स्किन ग्लो करने लगती है।

क्या करें:

  • हल्का स्क्रब करें
  • विटामिन C सीरम लगाएं
  • ब्राइटनिंग फेस मास्क का इस्तेमाल करें

Pro Tip: यह फेज फेशियल और स्किन ट्रीटमेंट के लिए बेस्ट है!

3. ओव्युलेशन फेज (दिन 14-17)

क्या होता है:
एनर्जी और स्किन ग्लो पीक पर, लेकिन ऑयल प्रोडक्शन भी हाई।

क्या करें:

  • जेल बेस्ड फेसवॉश यूज़ करें
  • क्ले मास्क लगाएं
  • लाइटवेट और नॉन-कॉमेडोजेनिक सनस्क्रीन लगाएं

Pro Tip: पोर्स को क्लीन रखना है तो इस फेज को हल्के में न लें।

4. ल्यूटल फेज (दिन 18-28)

क्या होता है:
प्रोजेस्ट्रोन हाई — स्किन ऑयली और पिंपल्स की शुरुआत।

क्या करें:

  • सैलिसिलिक एसिड फेसवॉश से क्लीनिंग
  • नायसिनेमाइड और स्पॉट ट्रीटमेंट
  • सिका-बेस्ड क्रीम से सूजन में राहत

Pro Tip: ब्रेकआउट से बचना है तो एक्टिव होना पड़ेगा।

हर महिला का शरीर अनोखा होता है, लेकिन एक बात सबमें कॉमन है — हर महीने बदलती स्किन और मूड के पीछे छिपा हार्मोनल खेल।अगर हम अपने शरीर को समझें और उसकी ज़रूरतों के हिसाब से थोड़ी-सी देखभाल करें, तो पीरियड्स का वक्त सिर्फ दर्द और झल्लाहट नहीं, बल्कि सेल्फ-केयर का समय भी बन सकता है।

Disclaimer

इस पोस्ट में दी गई जानकारी केवल जागरूकता और शैक्षणिक उद्देश्य के लिए है। यह किसी भी प्रकार की मेडिकल सलाह का विकल्प नहीं है। स्किन या स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए कृपया प्रमाणित डॉक्टर या विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें। हर व्यक्ति की त्वचा और हार्मोनल स्थिति अलग होती है, इसलिए कोई भी स्किन केयर रूटीन शुरू करने से पहले पेशेवर सलाह लेना आवश्यक है।

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