“हर आयु के लिए योग: महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष लाभकारी”
✍️ वर्तिका चौधरी, योग प्रशिक्षिका

हर वर्ष 21 जून को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस न केवल एक दिन का उत्सव है, बल्कि यह हमें याद दिलाता है कि योग एक जीवनशैली है – जो हमें शरीर, मन और आत्मा से जोड़ता है। इस वर्ष की थीम “Yoga for One Earth, One Health” वास्तव में यह दर्शाती है कि योग का अभ्यास न केवल हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए, बल्कि संपूर्ण पृथ्वी के संतुलन और सामूहिक कल्याण के लिए भी आवश्यक है।

मैं, एक योग प्रशिक्षिका होने के नाते, पिछले कई वर्षों से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के साथ कार्य कर रही हूँ, और मैंने अनुभव किया है कि योग हर वर्ग के लिए लाभकारी है – बस आवश्यकता है इसे समझकर, अपनाकर और नियमित रूप से अभ्यास करने की।

महिलाओं के लिए योग: आत्मबल और संतुलन का माध्यम

महिलाओं की दिनचर्या में शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्तर पर कई उतार-चढ़ाव आते हैं। योग न केवल हार्मोनल संतुलन बनाने में मदद करता है, बल्कि आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति भी प्रदान करता है। अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, तितली आसन, त्रिकोणासन और बद्धकोणासन जैसे अभ्यास स्त्रियों के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। मासिक धर्म, थायरॉइड, पीसीओडी जैसी समस्याओं से राहत पाने के लिए भी नियमित योग अपनाना उपयोगी है।

बच्चों के लिए योग: एकाग्रता और अनुशासन की नींव

आज के समय में बच्चों का ध्यान भटकना, स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताना, और मानसिक तनाव आम हो गया है। योग से बच्चों में अनुशासन, शारीरिक लचीलापन और मानसिक एकाग्रता आती है।
वृक्षासन, ताड़ासन, सूर्य नमस्कार, शशकासन और प्राणायाम की सरल विधियाँ बच्चों के शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक मजबूती भी प्रदान करती हैं। यदि माता-पिता बच्चों के साथ मिलकर योग करें, तो यह एक सुखद और प्रेरणादायी अनुभव बन सकता है।

बुजुर्गों के लिए योग: स्वस्थ और सम्मानजनक उम्र का सहारा

बुजुर्गों के लिए योग जीवन की रफ्तार को थामने और शांति से जीने का साधन है। नियमित योग से जोड़ों का दर्द, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप और श्वसन संबंधी समस्याओं में लाभ मिलता है।
वज्रासन, मकरासन, पवनमुक्तासन और धीमी गति के प्राणायाम जैसे कपालभाति व अनुलोम-विलोम बुजुर्गों के लिए सरल और प्रभावशाली उपाय हैं।

अंत में मेरा यही संदेश है: “योग किसी वर्ग, लिंग या उम्र का बंधन नहीं है – यह सबके लिए है। यदि हम प्रतिदिन कुछ समय योग और प्राणायाम को दें, तो न केवल हम स्वयं स्वस्थ रहेंगे, बल्कि हमारा परिवार, समाज और पर्यावरण भी संतुलित बनेगा।”

🙏
– वर्तिका चौधरी
योग प्रशिक्षिका, इंदौर

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