नई दिल्ली: पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हर आतंकी हमला, युद्ध माना जाएगा।” यह बयान केवल शब्दों तक सीमित नहीं रहा; इसने पूरे देश में भावनाओं का ज्वार खड़ा कर दिया—गर्व, आक्रोश और एक ठोस जवाब की उम्मीद। लेकिन क्या इस कथन का मतलब है कि भारत अब हर आतंकी घटना के जवाब में सैन्य कार्रवाई करेगा? या यह एक व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का संकेत है जो संयम, संतुलन और समझदारी पर आधारित है?
संदेश की स्पष्टता, लेकिन रणनीति की जटिलता
प्रधानमंत्री का यह कथन वास्तव में एक राजनीतिक संदेश था—एक स्पष्ट चेतावनी जो न केवल पाकिस्तान को, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और भारतीय जनता को भी संबोधित थी। यह बयान भारत की “डिटरेंस कम्युनिकेशन” यानी इरादों की स्पष्ट अभिव्यक्ति की रणनीति का हिस्सा है, जिसमें संभावित शत्रु को यह बता दिया जाता है कि अब भारत चुप नहीं बैठेगा।
हालांकि यह एक सशक्त राजनीतिक संकेत है, लेकिन इसे सैन्य सिद्धांत (military doctrine) या ऑपरेशनल नीति से सीधे जोड़ना सही नहीं होगा। भारत की आतंकवाद-रोधी नीति वर्षों में धीरे-धीरे विकसित हुई है, जिसमें अब सैन्य और गैर-सैन्य विकल्पों का एक परिष्कृत मिश्रण शामिल है।
हाइब्रिड युद्ध के लिए हाइब्रिड रणनीति
भारत अब “सिर्फ जवाब दो” की नीति से आगे बढ़ चुका है। अब बात है हाइब्रिड वारफेयर की—जहां आतंकवाद जैसे असममित खतरों का जवाब केवल बम और बंदूक से नहीं, बल्कि साइबर, आर्थिक, कूटनीतिक और कानूनी मोर्चों से भी दिया जाता है। हर आतंकी हमले का जवाब सैनिक कार्रवाई ही हो, ऐसा जरूरी नहीं। कभी-कभी जवाब अदृश्य, लेकिन प्रभावी होता है—जैसे आतंकी नेटवर्क को चुपचाप खत्म करना या पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग करना।
सर्जिकल स्ट्राइक से सिंदूर तक जवाब की नई भाषा
2016 के उरी हमले और 2019 के पुलवामा हमले के बाद भारत ने जिस तरह सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया, उसने आम जनता की अपेक्षाएं भी बदल दी हैं। लोग अब मानने लगे हैं कि हर आतंकी हमले का जवाब सीधा सैन्य हो। लेकिन रणनीतिक स्तर पर भारत की नीति “नियंत्रित प्रतिक्रिया” (controlled escalation) की है—यानी प्रतिक्रिया ज़रूर होगी, लेकिन समय, स्थान और स्वरूप भारत तय करेगा।
हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर ने इसे और स्पष्ट किया। यह कार्रवाई परमाणु संघर्ष की दहलीज को पार किए बिना, पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देने का उदाहरण बनी। सैन्य कार्रवाई के साथ ही जल नीति में बदलाव, साइबर हमले, और कूटनीतिक दबाव जैसे उपायों को भी जोड़ा गया।
भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति के पांच स्तंभ
परमाणु सीमा के नीचे विश्वसनीय प्रतिरोध (Credible Deterrence): भारत यह दिखा चुका है कि वह बिना परमाणु युद्ध के खतरे को छुए भी कठोर जवाब दे सकता है।
लचीली प्रतिक्रिया (Flexible Response): भारत अब समय और स्थान चुनने की स्वतंत्रता रखता है—सीधी सैन्य कार्रवाई हो या गुप्त ऑपरेशन।
गैर-सैन्य विकल्पों का प्रयोग (Non-Kinetic Tools): आर्थिक प्रतिबंध, साइबर हमले, FATF जैसे मंचों पर पाकिस्तान को घेरना अब भारत की रणनीति का हिस्सा है।
कानूनी एवं संस्थागत मजबूती: NIA और UAPA जैसे कानूनों से भारत ने आतंकी हमलों के पहले और बाद की कार्रवाइयों को और सशक्त बनाया है।
संतुलित संयम (Strategic Restraint): भारत जानता है कि पाकिस्तान एक परमाणु संपन्न और राजनीतिक रूप से अस्थिर राष्ट्र है। इसलिए संयम एक कमजोरी नहीं, बल्कि रणनीतिक परिपक्वता की निशानी है।