Gandhi Family On Parliament: प्रियंका गांधी की वायनाड उपचुनाव में जीत ने भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ लिया है। इस जीत के बाद, गांधी परिवार के तीन सदस्य एक साथ संसद में बैठने जा रहे हैं। यह पहली बार होगा जब गांधी परिवार के तीन सदस्य राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी संसद में एक साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे।

तीन सदस्य एक साथ संसद में नहीं बैठे

भारतीय संसदीय इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि लोकसभा में गांधी-नेहरू परिवार का कोई सदस्य न पहुंचा हो। समय-समय पर ऐसे अवसर आए हैं जब इस परिवार से जुड़े पांच सदस्य एक साथ लोकसभा में पहुंचे, लेकिन आजादी के बाद से कभी भी गांधी परिवार के तीन सदस्य एक साथ संसद में नहीं बैठे थे।

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राजनीतिक उपस्थिति को मिला एक नया आयाम

यहां तक कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के समय में भी ऐसा कोई अवसर नहीं आया था, जब दोनों प्रधानमंत्री बने, लेकिन परिवार के तीन सदस्य एक साथ संसद में नहीं थे। अब प्रियंका गांधी की वायनाड उपचुनाव में जीत ने इस रिकॉर्ड को संभव बना दिया है, जिससे गांधी परिवार की राजनीतिक उपस्थिति को एक नया आयाम मिला है।

संसद में दिखेगा 71 साल पहले की झलक

यह पहला अवसर होगा जब गांधी परिवार के तीन सदस्य, एक मां और उनके दो बच्चे, संसद में एक साथ मौजूद होंगे। प्रियंका और राहुल गांधी के एक साथ सदन में बैठने के बाद, एक और ऐतिहासिक घटना घटित होगी। 71 साल पहले, 1953 में, जवाहरलाल नेहरू और विजयलक्ष्मी पंडित की भाई-बहन की जोड़ी भी संसद में एक साथ नजर आती थी। अब 71 साल बाद, नेहरू-गांधी परिवार के भाई-बहन एक बार फिर संसद में साथ नजर आएंगे।

पहली लोकसभा (1951-52)

पहली लोकसभा के चुनाव 1951-52 में हुए, जिनमें कुल 489 सांसद चुने गए थे। इस चुनाव में पांच सदस्य ऐसे थे, जो गांधी-नेहरू परिवार से जुड़े थे।

  1. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इलाहाबाद जिला (पूर्व) से चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री के रूप में संसद में प्रवेश किया।
  2. फिरोज गांधी (नेहरू के दामाद और इंदिरा गांधी के पति) ने प्रतापगढ़ जिला (पश्चिम) सह रायबरेली जिला (पूर्व) से चुनाव जीता।
  3. उमा नेहरू (पंडित नेहरू की चचेरी बहन) ने सीतापुर जिला सह खीरी जिला (पश्चिम) से चुनाव जीता।
  4. विजयलक्ष्मी पंडित (पंडित नेहरू की बहन) ने लखनऊ जिला मध्य सीट से जीत हासिल की।
  5. श्योराजवती नेहरू (विजयलक्ष्मी की बहन की बेटी) ने लखनऊ सीट से उपचुनाव में जीत हासिल की।

इस तरह, पहले लोकसभा में गांधी-नेहरू परिवार से कुल पांच लोग लोकसभा पहुंचे, हालांकि एक समय में इनकी संख्या केवल चार ही रही।

दूसरी लोकसभा (1957)

1957 के चुनाव में परिवार से तीन सदस्य संसद पहुंचे:

  1. पंडित नेहरू ने फूलपुर से जीत हासिल की।
  2. उमा नेहरू ने सीतापुर से जीत दर्ज की।
  3. फिरोज गांधी ने रायबरेली से चुनाव जीता, लेकिन 1960 में उनका निधन हो गया।

तीसरी लोकसभा (1962)

1962 के चुनाव में पंडित नेहरू के अलावा कोई अन्य गांधी परिवार का सदस्य संसद में नहीं पहुंचा। पंडित नेहरू का निधन 1964 में हुआ, और विजयलक्ष्मी पंडित ने फूलपुर से उपचुनाव में जीत हासिल की।

चौथी लोकसभा (1967)

1967 में इंदिरा गांधी ने रायबरेली से चुनाव जीता और पहली बार लोकसभा पहुंची। इस चुनाव में गांधी परिवार से जुड़ी एक और निर्दलीय उम्मीदवार आनंद नारायण मुल्ला ने लखनऊ सीट पर कांग्रेस को हराया।

1971 लोकसभा चुनाव

इंदिरा गांधी ने रायबरेली से और शीला कौल (इंदिरा की मामी) ने लखनऊ से चुनाव जीता।

1977 के लोकसभा चुनाव

यह पहला चुनाव था जब गांधी-नेहरू परिवार का कोई सदस्य संसद में नहीं पहुंचा।

1980 के चुनाव

यहां इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी की जोड़ी पहली बार संसद में साथ पहुंची। इंदिरा गांधी ने रायबरेली से और संजय गांधी ने अमेठी से चुनाव जीता।

1989 के चुनाव

राजीव गांधी के खिलाफ कांग्रेस के कई सदस्य जनता दल में चले गए। इस चुनाव में गांधी परिवार के दो सदस्य निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीते: मेनका गांधी और अरुण नेहरू।

1991 के चुनाव

राजीव गांधी की हत्या के बाद उनका अमेठी सीट से चुनावी नतीजा जारी हुआ और उनका करीबी सतीश शर्मा जीतकर संसद पहुंचे। शीला कौल भी रायबरेली से जीतीं।

1996-1998 के चुनाव

इस दौरान मेनका गांधी ही एकमात्र सदस्य थीं, जो पीलीभीत से जीतकर संसद पहुंची।

2004 के चुनाव में सोनिया गांधी ने राजनीति में कदम रखा

सोनिया गांधी ने अमेठी से और बेल्लारी (कर्नाटक) से जीत हासिल की। बाद में बेल्लारी सीट छोड़ दी। मेनका गांधी ने एक बार फिर पीलीभीत से जीत हासिल की।

2009 में गांधी परिवार के सदस्य राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने लोकसभा में कदम रखा

राहुल गांधी ने अमेठी से और सोनिया गांधी ने रायबरेली से चुनाव जीता।

2024 के लोकसभा चुनाव

2024 के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार का प्रतिनिधित्व घटकर एक सदस्य रह गया था, जब सिर्फ राहुल गांधी लोकसभा पहुंचे थे। प्रियंका गांधी की वायनाड उपचुनाव में जीत ने गांधी परिवार का राजनीतिक असर फिर से मजबूत किया और यह संख्या बढ़ गई। प्रियंका गांधी की इस जीत ने न केवल गांधी परिवार के राजनीतिक प्रभाव को और मजबूत किया है, बल्कि कांग्रेस पार्टी के लिए भी एक नई उम्मीद की किरण दी है। इस बदलाव के साथ, गांधी परिवार का भारतीय राजनीति में और गहरा असर होगा, और इससे नए राजनीतिक समीकरण भी बनेंगे।

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