देश के मशहूर शिक्षा सुधारक और पर्यावरण वैज्ञानिक सोनम वांगचुक को केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा लगातार परेशान किया जाना आज लोकतंत्र पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। जो व्यक्ति देश के लिए सोचता है, शिक्षा में बदलाव लाता है, पर्यावरण बचाने के लिए नए समाधान देता है, आज वही सत्ता की सस्ती राजनीति का शिकार बनाया जा रहा है।
इसी अन्याय के खिलाफ आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुलकर सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता के नशे में चूर भाजपा सरकार जनता की आवाज़ को दबा रही है और लोकतंत्र की बुनियाद को कमजोर कर रही है। लद्दाख के लोग किसी विशेषाधिकार की नहीं बल्कि सिर्फ अपने संवैधानिक अधिकार- वोट देने और अपनी सरकार चुनने की मांग कर रहे हैं, लेकिन भाजपा बार-बार वादे करने के बावजूद उनका हक नहीं दे रही।
केजरीवाल ने कहा कि भारत ने अंग्रेज़ों से आज़ादी इसलिए नहीं ली थी कि जनता अंग्रेज़ों की जगह भाजपा की गुलाम बन जाए। भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद जैसे क्रांतिकारियों ने लोकतंत्र के लिए बलिदान दिया था, लेकिन आज भाजपा राज्यों को केंद्र शासित प्रदेश बनाकर जनता से उनके अधिकार छीन रही है। अगर आज लद्दाख की आवाज़ को अनसुना किया गया, तो कल यह पूरे देश की आवाज़ बन जाएगी।
लद्दाख की जनता आज सिर्फ अपने अधिकारों के लिए नहीं बल्कि देश के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा के लिए संघर्ष कर रही है। उनकी हिम्मत और एकजुटता साबित करती है कि जनता जब ठान ले तो सत्ता को झुका सकती है। अरविंद केजरीवाल ने इस संघर्ष को देश की आवाज़ बताते हुए कहा कि लोकतंत्र तभी ज़िंदा रहेगा जब हर भारतीय लद्दाख के साथ खड़ा होगा।
सोनम वांगचुक का जीवन भी प्रेरणा है। उन्होंने 1988 में SECMOL की स्थापना कर शिक्षा सुधार की नई राह दिखाई, असफल छात्रों के लिए वैकल्पिक स्कूल खोले और जलवायु संकट से निपटने के लिए “आइस स्तूप” जैसी तकनीक विकसित की। उन्होंने धारा 370 हटाने का समर्थन भी किया, क्योंकि वे भारत की एकता के समर्थक हैं।
अरविंद केजरीवाल सिर्फ एक मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि जनता की भावना को समझने वाले नेता हैं। उन्होंने साफ कहा कि यह लड़ाई केवल सोनम वांगचुक की नहीं, बल्कि हर भारतीय के अधिकारों और लोकतंत्र की है। आज लद्दाख की आवाज़ को दबाना पूरे देश के लोकतंत्र को कमजोर करना है। इसलिए हर नागरिक का फर्ज़ है कि वह इस लड़ाई के साथ खड़ा हो, क्योंकि आज लद्दाख की लड़ाई ही असली लोकतंत्र की लड़ाई है।