Digital Payment Charges in India: फ्री का UPI अब शायद फ्री न रहे! देश में डिजिटल पेमेंट की रीढ़ बन चुका UPI एक बार फिर चर्चाओं में है और इस बार वजह है चार्ज। देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक ICICI ने अब UPI ट्रांजैक्शन को लेकर एक ऐसा कदम उठाया है, जिसे देखकर लग रहा है कि अब UPI पेमेंट पर चार्ज लगने की राह साफ हो रही है।
सीधे शब्दों में कहें, तो PhonePe, Google Pay जैसे ऐप्स के लिए अब हर ट्रांजैक्शन पर ‘handling fee’ लागू हो गई है। अब सवाल उठता है क्या इसका असर आम लोगों पर भी होगा? या फिर दुकानदारों की जेब और हल्की होने वाली है?
इस रिपोर्ट में हम यही समझने की कोशिश करेंगे कि ये फैसला किसके लिए खतरे की घंटी है और क्या इससे ‘15 सेकंड वाले पेमेंट’ का फ्री दौर खत्म होने वाला है?
बात टेक्निकल नहीं, ट्रेंड की है
ICICI बैंक ने UPI सेवा देने वाले ऐप्स से हर लेन-देन पर 0.02% से 0.04% तक Transaction Handling Fee वसूलना शुरू कर दिया है। जो पेमेंट एग्रीगेटर ICICI बैंक में एस्क्रो अकाउंट रखते हैं, उन्हें 6 रुपये तक प्रति ट्रांजैक्शन का चार्ज देना होगा। और जिनका अकाउंट किसी और बैंक में है, उनसे वसूला जाएगा 10 रुपये तक।
यानी अब बैंक, PhonePe या Google Pay जैसे ऐप्स से उनके इंफ्रास्ट्रक्चर के इस्तेमाल की कीमत मांग रहे हैं। और जब इन ऐप्स पर लोड बढ़ेगा, तो वो मर्चेंट और यूजर दोनों से वसूली कर सकते हैं।
दुकानदारों की जेब पर सीधा असर!
वैसे भी ये ऐप्स पहले से ही दुकानदारों से कई तरह की फीस ले रहे हैं जैसे साउंडबॉक्स रेंट, पेमेंट रीकॉन्सिलिएशन, प्लेटफॉर्म सर्विसेज आदि। अब इस नए बैंक चार्ज के नाम पर मर्चेंट्स की जेब और ढीली हो सकती है।
छोटे दुकानदार, ठेले वाले और लोकल व्यापारी जिनकी कमाई दिन की 1,000–2,000 तक होती है उनके लिए हर ट्रांजैक्शन पर 1-2 रुपये का कट भी मायने रखता है। सवाल यह नहीं है कि ये चार्ज यूजर देगा या दुकानदार सवाल यह है कि UPI के ‘फ्री’ और ‘सुलभ’ होने की पहचान पर क्या असर पड़ेगा?
सरकार भले ही यह कहती रही हो कि UPI पूरी तरह फ्री रहेगा, लेकिन बैंक और ऐप्स के बीच जो अंदरखाने की फीस लड़ाई चल रही है, वो अब सतह पर आ गई है। आज नहीं तो कल, सीधा असर यूजर तक पहुंचना तय है। “15 सेकंड में पेमेंट” वाली दुनिया में शायद अब 15 रुपये का चार्ज भी जुड़ जाए।
अब देखना ये है कि क्या आने वाले दिनों में सरकार इस पर कोई स्पष्ट गाइडलाइन लाती है या फिर ये मामला धीरे-धीरे डिजिटल लेन-देन की ‘सुविधा’ को ‘सर्विस’ में बदल देगा, जिसकी कीमत चुकानी होगी हमें और आपको।