15 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमध्यसागर क्षेत्र के द्वीपीय देश साइप्रस का दो दिवसीय दौरा किया। यह यात्रा ऐसे समय पर हुई जब दुनिया मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के बाद बदलते वैश्विक समीकरणों से गुजर रही है।
यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की तीसरी साइप्रस यात्रा थी — इससे पहले 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी यहां आए थे। इस दौरे को महज़ एक कूटनीतिक औपचारिकता नहीं, बल्कि भारत की भूमध्यसागर में अपनी पकड़ मज़बूत करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
भारत-साइप्रस साझेदारी: आर्थिक से लेकर सामरिक तक
प्रधानमंत्री मोदी ने साइप्रस को भारतीय कंपनियों के लिए “यूरोप का प्रवेशद्वार” बताते हुए दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश, स्टार्टअप्स, विमानन और पर्यटन को बढ़ावा देने की बात की।
साइप्रस की आबादी केवल 13 लाख है, फिर भी यह भारत में FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) के शीर्ष 10 स्रोतों में शामिल है। इसका कारण है वहां की उदार टैक्स नीति और यूरोप से निवेश के लिए साइप्रस का उपयोग एक रास्ते के रूप में।
नई साझेदारियों में शामिल हैं..
- GIFT सिटी और Cyprus Stock Exchange के बीच समझौता
- UPI को साइप्रस में लागू करने की संभावनाएं
- भारत-ग्रीस-साइप्रस त्रिपक्षीय व्यापार परिषद का गठन
तुर्की-पाक गठजोड़ के जवाब में भारत की चाल
इस दौरे की टाइमिंग भी कम अहम नहीं है। पाकिस्तान और तुर्की के बीच बढ़ती नजदीकी और पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के जवाबी सैन्य अभियान “ऑपरेशन सिंदूर” के संदर्भ में साइप्रस का दौरा एक राजनीतिक संदेश भी है।
तुर्की ने पाकिस्तान को ड्रोन, कार्गो विमान और युद्धपोत जैसी सैन्य सहायता दी, जिसके जवाब में भारत ने साइप्रस, ग्रीस और आर्मेनिया के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी मजबूत की है। मोदी का ग्रीन लाइन (साइप्रस और तुर्की-प्रभावित उत्तरी साइप्रस के बीच की सीमा) पर जाना इस कूटनीति का प्रतीक माना गया।
रक्षा और सुरक्षा में नई संभावनाएं
भारत और साइप्रस अब साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और नई तकनीकों में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए हैं। 2022 में हुए रक्षा समझौते और 2025 के Bilateral Defence Cooperation Programme (BDCP) को और मज़बूती देने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
ऊर्जा और नवाचार भी एजेंडे में
साइप्रस, पूर्वी भूमध्यसागर में गैस खोज पर सक्रिय है, वहीं भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिए स्रोतों में विविधता चाहता है। इस लिहाज से नवीन ऊर्जा क्षेत्र में साझेदारी भी दोनों देशों को करीब ला रही है।
आने वाले वर्षों के लिए रोडमैप तैयार
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलाइडेस ने एक पाँच-वर्षीय रोडमैप तैयार करने की सहमति जताई, जिससे भारत-साइप्रस रिश्ते को नई ऊँचाई मिल सके।
साइप्रस, जो 2026 में यूरोपीय संघ (EU) की अध्यक्षता करने वाला है, भारत के लिए एक अहम साझेदार बन सकता है — खासकर भारत-EU फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को आगे बढ़ाने के संदर्भ में।