India Thermal Power Generation. भारत सरकार ने संसद को सूचित किया है कि देश में 2034-35 तक 307 गीगावाट थर्मल (कोयला और लिग्नाइट आधारित) बिजली उत्पादन क्षमता प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त 97 गीगावाट की कोयला और लिग्नाइट आधारित थर्मल बिजली परियोजनाओं का विकास किया जाएगा। यह लक्ष्य भारत के 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने और 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य के मद्देनजर बेहद महत्वपूर्ण है।
लोकसभा में राज्य मंत्री श्री श्रिपाद यस्सो नाइक ने बताया कि मार्च 2023 तक देश में थर्मल बिजली उत्पादन क्षमता 2,11,855 मेगावाट थी, जिसे बढ़ाकर 2034-35 तक लगभग 3,07,000 मेगावाट पर ले जाना है।
देश की कुल बिजली उत्पादन क्षमता जून 2025 तक 485 गीगावाट हो गई है। नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान (जनरेशन), मई 2023 के अनुसार, 2031-32 तक यह क्षमता लगभग 870 गीगावाट तक पहुंचने की संभावना है।
अप्रैल 2023 से जून 2025 के बीच लगभग 11,680 मेगावाट थर्मल क्षमता पहले ही चालू की जा चुकी है। इसके अलावा, 38,935 मेगावाट की थर्मल परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं, जिनमें 5,695 मेगावाट की तनावग्रस्त परियोजनाएं भी शामिल हैं।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में 15,440 मेगावाट की थर्मल क्षमता के लिए ठेकों का आवंटन किया गया है, जिनका निर्माण शीघ्र शुरू होगा। साथ ही 35,460 मेगावाट की कोयला और लिग्नाइट आधारित परियोजनाओं का भी योजना चरण में विकास हो रहा है।
हाइड्रो पावर में भी प्रगति हो रही है, जहां 13,463.5 मेगावाट की परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं और 9,802 मेगावाट की परियोजनाएं योजना चरण में हैं, जिन्हें 2031-32 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में 1,58,450 मेगावाट क्षमता निर्माणाधीन है, जिसमें 74,150 मेगावाट सौर ऊर्जा, 30,080 मेगावाट पवन ऊर्जा, और 53,750 मेगावाट हाइब्रिड पावर शामिल हैं। इसके अलावा, 62,000 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं योजना में हैं, जिन्हें 2029-30 तक पूरा किया जाना है।
ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के तहत, 8,250 मेगावाट/49,500 मेगावाट-घंटा पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट (PSP) निर्माणाधीन हैं। इसके अलावा, 5,780 मेगावाट/34,680 मेगावाट-घंटा की क्षमताओं के लिए मंजूरी दी गई है।
न्यूक्लियर ऊर्जा क्षेत्र में 6,600 मेगावाट की क्षमता निर्माणाधीन है और 2029-30 तक पूरी होने का लक्ष्य है। साथ ही 7,000 मेगावाट न्यूक्लियर क्षमता योजना और अनुमोदन के विभिन्न चरणों में है।
श्री नाइक ने बताया कि तेजी से आर्थिक विकास, घरेलू बिजलीकरण, शहरीकरण, जीवन स्तर में सुधार और ऊर्जा-गहन तकनीकों जैसे एयर कंडीशनर व इलेक्ट्रिक वाहन (EV) के बढ़ते उपयोग के कारण देश में बिजली की मांग में वृद्धि हुई है।
20वें इलेक्ट्रिक पावर सर्वे (EPS) के मध्यकालीन समीक्षा के अनुसार, FY 2031-32 तक इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग के लिए बिजली की मांग लगभग 63,651 मिलियन यूनिट होगी, जो कुल मांग का लगभग 2.35% होगी।
सरकार ने बढ़ती बिजली मांग, खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ावे को ध्यान में रखते हुए, पर्याप्त बिजली उत्पादन क्षमता विकसित करने की योजना बनाई है।