नई दिल्ली: मंगलवार को संसद ने नया इनकम टैक्स बिल पारित कर दिया, जो छह दशक पुरानी इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की जगह लेगा। इस बिल का उद्देश्य सीधे कर कानून को पढ़ने, समझने और लागू करने में आसान बनाना है।
नई विधेयक में “टैक्स ईयर” की अवधारणा पेश की गई है, जो वित्तीय वर्ष और असेसमेंट ईयर की जगह लेगी, ताकि करदाताओं में भ्रम कम हो। इसके अलावा ‘वर्चुअल डिजिटल एसेट्स’ की परिभाषा का विस्तार किया गया है, जिसमें क्रिप्टो-एसेट्स, नॉन-फंजिबल टोकन (NFTs) और अन्य डिजिटल एसेट्स शामिल होंगे, जिन्हें सरकार निर्दिष्ट करेगी। बिल में यह भी अनिवार्य किया गया है कि करदाता खोज के दौरान सोशल मीडिया अकाउंट, ईमेल सर्वर और क्लाउड स्टोरेज जैसी वर्चुअल जगहों तक पहुँच प्रदान करें।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) डिजिटल डेटा संभालने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं (SOP) जारी करेगा ताकि करदाता की गोपनीयता सुरक्षित रहे। उन्होंने यह भी बताया कि नए कानून को लागू करने के लिए कंप्यूटर सिस्टम को 1 अप्रैल 2026 तक “रीबूट” करना आवश्यक है।
सीतारमण ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि इस महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा में भाग न लेना चौंकाने वाला है। राज्या सभा में विपक्ष ने पिछले दिन की तरह बुधवार को भी वॉकआउट किया।
लोकसभा पहले ही बिल पास कर चुकी थी। वित्त मंत्री ने बताया कि बिल को समय पर पारित करना महत्वपूर्ण है क्योंकि इनकम टैक्स विभाग को अपना कंप्यूटर सिस्टम अपग्रेड करना है और नए कानून को अगले वित्तीय वर्ष यानी 1 अप्रैल से लागू करना है।