उत्तर प्रदेश के संभल जिले से एक बड़े जमीन घोटाले का खुलासा हुआ है। चकबंदी विभाग में करोड़ों रुपए के इस घोटाले में अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर 326 बीघा सरकारी जमीन को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 55 लोगों को आवंटित कर दिया। जांच में सामने आया है कि लाभार्थियों के नाम, पते और पहचान सत्यापित ही नहीं हुए थे। इतना ही नहीं, जब विभागीय जांच शुरू हुई तो इससे जुड़े सारे दस्तावेज तहसील से गायब कर दिए गए।

इस मामले में वर्ष 2018 में 58 लाभार्थियों और 9 चकबंदी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। पिछले 7 वर्षों से जांच जारी थी, लेकिन अब इस घोटाले ने फिर रफ्तार पकड़ी है। जांच के दौरान चार आरोपियों की मौत भी हो चुकी है।

पुलिस ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में लेखपाल कालीचरन, लेखपाल मोरध्वज, बाबू रामौतार और चपरासी रामनिवास शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि इन सभी पर साक्ष्य नष्ट करने, फर्जीवाड़ा और सरकारी जमीन के गबन का आरोप है।

इस मामले में जिला प्रशासन ने जांच को तेज कर दिया है और शेष आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है। घोटाले की गंभीरता को देखते हुए शासन स्तर से भी निगरानी की जा रही है।यह है यूपी के प्रशासनिक तंत्र में भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण, जहां सरकारी जमीन को निजी लाभ के लिए हड़प लिया गया।

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