Viksit Bharat 2047. भारत ने वर्ष 2047 तक विकसित, न्यायपूर्ण और ज्ञान-आधारित राष्ट्र बनने का जो सपना संजोया है, उसकी नींव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) में गहराई से जुड़ी हुई है। यह नीति सिर्फ रोजगार दिलाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक प्रगति, तकनीकी नेतृत्व और आर्थिक परिवर्तन के लिए शिक्षा को आधार मानती है।
NEP के तहत स्थापित नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF) भारत को वैश्विक ज्ञान शक्ति बनाने की दिशा में प्रमुख संस्थागत ढांचा है, जो अनुसंधान को बढ़ावा देता है और नवाचार को प्रोत्साहित करता है। यह नीति शिक्षा सुधार से आगे बढ़कर आर्थिक अनिवार्यता बन गई है, विशेषकर तेजी से बदलती वैश्विक प्रतिस्पर्धा में।
शिक्षा से नवाचार तक: बदलते भारत की झलक
128 भारतीय विश्वविद्यालयों की विश्व रैंकिंग में उपस्थिति ने भारत को अमेरिका (171) के बाद दूसरा सबसे अधिक प्रतिनिधित्व वाला देश बना दिया है। उत्तर प्रदेश के सेकेंड-टियर इंजीनियरिंग कॉलेजों में अब एग्री-टेक लैब चल रही हैं, जहां छात्र स्थानीय किसानों के साथ मिलकर सस्ते सॉयल हेल्थ सेंसर बना रहे हैं। अब भारत पश्चिमी मॉडल की नकल नहीं कर रहा, बल्कि अपनी ज़रूरतों के अनुसार स्वदेशी समाधान गढ़ रहा है।
विचारों से निर्माण: भारत का वैश्विक योगदान
NEP रटने की प्रणाली को खत्म कर आलोचनात्मक चिंतन, विश्लेषण क्षमता और रचनात्मकता को केंद्र में लाता है। इससे शिक्षा सिर्फ जानकारी तक सीमित नहीं रहती, बल्कि समस्या समाधानकर्ता तैयार करती है।
डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और स्किल इंडिया जैसी योजनाओं के साथ NEP का तालमेल भारत को दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बना चुका है, जहां 100 से अधिक यूनिकॉर्न कंपनियां खड़ी हो चुकी हैं।
स्थानीय से वैश्विक तक: NRF का समावेशी मॉडल
अब शोध सिर्फ बड़े शहरों या चुनिंदा संस्थानों तक सीमित नहीं रहेगा। NRF सब्सिडी के ज़रिए राज्य स्तरीय संस्थानों, ग्रामीण स्कूलों और आदिवासी क्षेत्रों में भी नवाचार होगा।
- उड़ीसा का एक आदिवासी छात्र पारंपरिक जड़ी-बूटी के ज्ञान से वैश्विक औषधीय समाधान खोज सकता है।
- एक ग्रामीण इंजीनियर छोटे किसानों के लिए सिंचाई यंत्र बनाकर वैश्विक खाद्य सुरक्षा में योगदान दे सकता है।
वैश्विक दृष्टिकोण, भारतीय आत्मा
इज़राइल, फिनलैंड और दक्षिण कोरिया जैसे देशों की तरह भारत भी शिक्षा और विज्ञान को प्राथमिकता देकर आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है। भारत की जनसंख्या लाभ और लोकतांत्रिक व्यवस्था इस बदलाव को और अधिक सशक्त बनाते हैं।
चुनौतियां भी हैं… समाधान भी
नीतियों का समान क्रियान्वयन, प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी, डिजिटल असमानता और प्रशासनिक जड़ता जैसे मुद्दे रास्ते में अवरोध बन सकते हैं। लेकिन पारदर्शिता, विकेंद्रीकरण और दीर्घकालिक सोच से इन बाधाओं को पार किया जा सकता है।
सपना नहीं, राष्ट्रीय संकल्प बने विकसित भारत
Viksit Bharat @2047 अब सिर्फ भाषणों की बात नहीं रहनी चाहिए। यह एक राष्ट्रीय परियोजना बने, जहां हर शिक्षक को सम्मान मिले, हर छात्र को प्रेरणा मिले, और हर शोधकर्ता को प्रोत्साहन मिले।
जब तक एक ग्रामीण लड़की विज्ञान प्रयोगशाला में शोध न करे, एक स्टार्टअप टीम हरित ऊर्जा की समस्या हल न करे और एक पीएचडी शोधकर्ता आदिवासी बोली में शोधपत्र प्रकाशित न करे – तब तक सपना अधूरा है।
शिक्षा को आज़ादी, विज्ञान को क्रांति और नीति को उद्देश्य में बदलना ही भारत को विकसित नहीं, बल्कि रचनात्मक और चिंतनशील राष्ट्र बनाएगा। यही होगा Viksit Bharat का असली सार।