भारत का सैटकॉम (सैटलाइट कम्युनिकेशन) सेक्टर वैश्विक स्तर पर आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। अमेरिका की Intelsat, ब्रिटेन की Inmarsat (अब Viasat के स्वामित्व में), SES (लक्समबर्ग), KT SAT (दक्षिण कोरिया), IPSTAR (थाईलैंड), और अन्य दिग्गज कंपनियां भारत के तेजी से बढ़ते $2.3 अरब के सैटकॉम मार्केट में हिस्सेदारी लेने को तैयार हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह बाज़ार 2028 तक $20 अरब तक पहुँच सकता है, यानी अगले 3 वर्षों में इसमें 10 गुना तक की वृद्धि हो सकती है।
भारत में सैटकॉम क्यों बन रहा है हॉटस्पॉट?
- डिजिटल इंडिया मिशन और ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की बढ़ती मांग
- सरकार की ओर से स्पेक्ट्रम नीति और एफडीआई में सुधार
- 5G और भविष्य में 6G के लिए सैटेलाइट-बेस्ड बैकअप की ज़रूरत
- Direct-to-Device और Direct-to-Cell जैसी नई तकनीकों की शुरुआत
साझेदारियाँ शुरू, तैयारियाँ तेज़
Tata Group की NELCO ने Eutelsat OneWeb और दक्षिण कोरिया की Koreasat-7 के साथ साझेदारी की है।
वहीं, Intelsat, जिसे हाल ही में SES ने अधिग्रहित किया है, भारत में C-band सैटेलाइट सेवा शुरू कर चुका है।
Viasat, जिसने 2023 में Inmarsat को खरीदा था, पहले से ही भारत में नागरिक, रक्षा और व्यावसायिक सैगमेंट में मौजूद है, और चेन्नई व हैदराबाद में R&D सेंटर भी संचालित कर रहा है।
टक्कर Elon Musk की Starlink से?
भारत में पहले से ही Jio-SES, Eutelsat OneWeb, और Starlink जैसे नाम सक्रिय हैं। अब इन नए अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की एंट्री से प्रतिस्पर्धा और तेज़ होने वाली है। वहीं Amazon का Project Kuiper और Apple का पार्टनर Globalstar भी मंज़ूरी के लिए आवेदन कर चुके हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
KPMG और Deloitte जैसी फर्मों का अनुमान है कि भारत में सैटलाइट इंटरनेट की माँग मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों और रिमोट लोकेशनों से आएगी। इसके अलावा, एयरलाइन इंटरनेट, समुद्री कनेक्टिविटी और रक्षा क्षेत्र भी बड़ी भूमिका निभाएंगे।