संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक “नाजुक दौर” में बताया है, लेकिन इसी बीच भारत ने दुनिया के सामने एक उज्ज्वल उदाहरण पेश किया है। संयुक्त राष्ट्र की World Economic Situation and Prospects रिपोर्ट के मध्य-वर्षीय अपडेट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था 2025 में 6.3% की दर से बढ़ेगी — जो बड़े देशों में सबसे तेज़ है। यह रफ्तार 2026 में भी जारी रह सकती है, जब विकास दर 6.4% रहने का अनुमान है।
वैश्विक सुस्ती के बीच भारत का दमदार प्रदर्शन
जहां वैश्विक वृद्धि दर 2025 में घटकर 2.4% रहने की आशंका है, वहीं भारत की मजबूती घरेलू मांग, स्थिर नीतियों और वैश्विक निवेशकों के विश्वास पर आधारित है। देश में कैपिटल मार्केट से लेकर रक्षा उत्पादन और निर्यात तक में रिकॉर्ड वृद्धि देखी गई है।
मजबूत घरेलू मांग और सरकारी खर्च का असर
सरकार के सतत खर्च और घरेलू मांग के कारण भारत में रोजगार स्थिर रहा है और महंगाई पर नियंत्रण बना हुआ है। 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 4.3% रहने की संभावना है, जो रिजर्व बैंक की लक्ष्य सीमा के भीतर है।
शेयर बाजार और विनिर्माण क्षेत्र में उत्साहजनक रुझान
भारतीय शेयर बाजारों ने 2024 में रिकॉर्ड ऊंचाई छुई। विदेशी और घरेलू निवेशकों के बढ़ते विश्वास के चलते Hyundai और LG जैसी कंपनियों ने अपनी भारतीय इकाइयों को स्थानीय शेयर बाजारों में सूचीबद्ध किया है। यह भारत को वैश्विक वित्तीय प्रणाली में एक रणनीतिक भागीदार के रूप में स्थापित करता है।
विनिर्माण और निर्यात में दशक भर की प्रगति
2013-14 में जहां विनिर्माण क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धन (GVA) ₹15.6 लाख करोड़ था, वह 2023-24 में बढ़कर ₹27.5 लाख करोड़ हो गया। वहीं, भारत के कुल निर्यात 2024-25 में $824.9 अरब तक पहुंच गए, जो एक दशक पहले $466.22 अरब थे।
रक्षा उत्पादन और निर्यात में ऐतिहासिक छलांग
2023-24 में देश का रक्षा उत्पादन ₹1.27 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जो 2014-15 के ₹46,429 करोड़ के मुकाबले 174% की वृद्धि है। रक्षा निर्यात 2013-14 के ₹686 करोड़ से बढ़कर 2024-25 में ₹23,622 करोड़ हो गया — यानी 34 गुना बढ़त। अब भारत लगभग 100 देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है।