तेलंगाना विधानसभा का बजट सत्र 23 जुलाई से शुरू होगा, जबकि विधान परिषद का सत्र एक दिन बाद शुरू होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने बेरोजगारों की समस्याओं के समाधान तथा परीक्षाओं को सुनियोजित ढंग से कुशलतापूर्वक आयोजित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद (कांग्रेस सरकार के) तीन महीने के भीतर ही 30,000 पदों पर नियुक्ति के आदेश दे दिए गए थे।
उन्होंने कहा कि पिछले 10 सालों में बेरोजगार युवाओं ने बहुत संघर्ष किया है। सीएम ने कहा कि तेलंगाना राज्य लोक सेवा आयोग (TGPSC) को UPSC की तर्ज पर सुधारा गया है और TGPSC ने पहले ही ग्रुप 1 की प्रारंभिक परीक्षा आयोजित कर ली है और जिला चयन समिति (DSC) परीक्षा (शिक्षकों की भर्ती के लिए) प्रगति पर है। रेड्डी ने कहा कि सरकार ने बेरोजगारों की कठिनाइयों पर विचार किया और ग्रुप 2 की परीक्षा स्थगित कर दी।
उन्होंने कहा कि बिहार और राजस्थान में अधिकारियों (सिविल सेवाओं के लिए चयनित उम्मीदवारों) की संख्या अधिक है और तेलंगाना के युवाओं को भी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
इस बीच, यहां ‘कम्मा ग्लोबल समिट’ में भाग लेने आए रेड्डी ने कहा कि एनटीआर (आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एनटी रामा राव) ने नेतृत्व का एक ब्रांड तैयार किया है और कई लोगों को राजनीतिक रूप से आगे बढ़ने का अवसर दिया है।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में उनके हवाले से कहा गया, “एनटीआर द्वारा देश में शुरू की गई गठबंधन राजनीति के कारण आज कई लोगों को राजनीतिक अवसर मिले हैं।”
मुख्यमंत्री ने कहा, “हम हर जाति और पंथ का सम्मान करते हैं। तेलंगाना राज्य में किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं है। मेरी सरकार भेदभावपूर्ण नीतियां नहीं अपनाएगी।”
तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राष्ट्रीय राजनीति में तेलुगु नेताओं की भूमिका का अभाव स्पष्ट है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले तेलुगु नेताओं को जाति और धर्म से परे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।