Varanasi News. वाराणसी में दालमंडी क्षेत्र के चौड़ीकरण को लेकर अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने सरकार को कड़ी चेतावनी दी है। मस्जिदों के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई को लेकर मुस्लिम पक्ष ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि यदि दबाव डाला गया तो इसका विरोध किया जाएगा। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी एस एम यासीन ने इस मुद्दे पर एक बड़ा बयान दिया है, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है।

एस एम यासीन का बड़ा बयान

एस एम यासीन ने कहा, हम मस्जिदों को थाली में सजाकर देने वालों में से नहीं हैं। हमारे सामने अब दो ही रास्ते हैं – या खड़े होंगे या मर जाएंगे। यासीन ने यह स्पष्ट किया कि उनका संगठन किसी भी हाल में मस्जिदों को खोने या डिमोलिश होने नहीं देगा। उनका कहना था कि दालमंडी चौड़ीकरण केवल विकास का कार्य नहीं है, बल्कि इसके पीछे सरकार की कोई और मंशा हो सकती है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार का असल उद्देश्य आगामी 2027 और बिहार चुनाव के लिए चुनावी रणनीति तैयार करना है, और इस प्रक्रिया में धार्मिक उन्माद पैदा किया जा सकता है।

ज्ञानवापी जैसा माहौल बनाने की कोशिश

यासीन ने यह भी कहा कि दालमंडी में चल रहे चौड़ीकरण कार्य को लेकर सरकार जानबूझकर एक ऐसा माहौल बना रही है, जैसा कि पहले ज्ञानवापी मस्जिद में देखा गया था। उनका मानना था कि इसके द्वारा मुस्लिम समुदाय को किसी तरह की दबाव की स्थिति में लाकर, उसे तंग किया जा रहा है। उन्होंने सरकार के इस कदम को “राजनीतिक ड्रामा” करार देते हुए कहा कि यह मुसलमानों के खिलाफ एक और कदम है, जिसका उद्देश्य समाज में धार्मिक तनाव फैलाना है।

मस्जिदों को डिमोलिश करना उतना आसान नहीं

एस एम यासीन ने यह स्पष्ट किया कि मस्जिदों को डिमोलिश करना उतना आसान नहीं है, जैसा कि कुछ लोग समझ रहे हैं। उन्होंने कहा, मस्जिदों को डिमोलिश करने के लिए कोई भी मस्जिद से जुड़े लोग राजी नहीं होंगे। यह एक लंबी और जटिल प्रक्रिया हो सकती है, जो समाज के विभिन्न वर्गों के बीच असंतोष और हिंसा का कारण बन सकती है। यासीन का कहना था कि अगर इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश की गई, तो उनका संगठन इसके खिलाफ सख्त कदम उठाएगा और इसका हर स्तर पर विरोध करेगा।

सरकार के चुनावी उद्देश्य पर सवाल

अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए यह आरोप लगाया कि यह चौड़ीकरण कार्य केवल विकास का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह एक जानबूझकर की गई राजनीतिक चाल है। यासीन का कहना था कि “सरकार को केवल आगामी चुनावों के नज़रिए से यह कदम उठाते हुए मुस्लिम समुदाय को एक बार फिर से चुनावी मुद्दा बनाना है।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को मस्जिदों को लेकर अपनी मंशा साफ करनी चाहिए और यह स्पष्ट करना चाहिए कि इस कार्य का असली उद्देश्य क्या है।

कश्मीर की तरह माहौल बनाने की आशंका

एस एम यासीन ने यह भी आशंका जताई कि सरकार कश्मीर जैसा माहौल बनाने की कोशिश कर सकती है, जहां धार्मिक विवादों को लेकर तनाव बढ़ाने का प्रयास हो। उन्होंने कहा, कश्मीर में जो स्थिति है, वही अब वाराणसी में देखने को मिल रही है। यह किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जाएगा। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारे अधिकारों का उल्लंघन नहीं होने पाए।

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