नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर पॉल माइकल रोमर ने रविवार को भारत की डिजिटल क्रांति को सबसे प्रेरणादायक और दिलचस्प सफलता की कहानियों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि इस क्रांती ने दुनिया भर के देशों के लिए एक मानदंढ तय कर दिया है। बता दें कि विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री प्रोफेसर पॉल माइकल रोमर भारत आए हुए हैं। वे भारत में एक कार्यक्रम में शामिल होने आए हैं जो 21 अक्टूबर से शुरू होने वाला है। प्रोफेसर पॉल ने भारत की डिजिटल क्षमता पर अपने विचार साझा करते हुए भारत के डिजिटल परिवर्तन के एक अनूठे पहलू की ओर इशारा करते हुए कहा कि दक्षिण एशियाई देश इससे सीख लेके इसका लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने भारत की तारीफ करते हुए कहा कि ये सब कुछ भारत की तस्वीर बदल देने वाला है। भारत में आई इस डिजिटल क्रांती ने न सिर्फ लोगों के जीवन को आसान बना दिया है बल्कि उन्हें और सहूलियत देने का काम किया है।

बता दें कि इस कदम को लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की सराहना भी की, जिसकी वजह से ही डिजिटल माध्यम को जन-जन तक पहुंचाया गया। उन्होंने कहा, “यहां डिजिटल क्रांति बहुत दिलचस्प है, क्योंकि इसका इस्तेमाल सरकार द्वारा समाज के सभी वर्गों को लाभ पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। यह दुनिया के अधिकांश देशों से बहुत अलग है, जहां लक्ष्य केवल कुछ भाग्यशाली लाभार्थी होते हैं। भारत की कहानी अनूठी है, क्योंकि यह सभी को लाभ पहुंचा रहा है।”

जब उनसे साक्षरता पर बात हुई तब उन्होंने कहा कि डिजिटल बनाने में भारत की आश्चर्यजनक सफलता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे हमेशा से ही टेक्नोलॉजी के प्रबल समर्थक रहे हैं साल 1980 के दशक में, मैंने दृढ़ता से कहा था कि प्रौद्योगिकी जीवन को बदलने वाला साधन है। प्रौद्योगिकी जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकती है- और ये सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और अन्य देशों में दिखाई देता है। जब चीन किसी अन्य देश की तुलना में तेजी से बढ़ा, तो कुछ लोगों ने कहा कि ये देश बड़ा है इसलिये ऐसा है। हालाँकि, लोकतंत्र में जो मायने रखता है वो है देश की क्षमता, उसकी महत्वाकांक्षा और उसका विजन न की क्षेत्रफल।

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