Waqf Board Act 2025: सुप्रीम कोर्ट में आज मंगलवार को वक्फ (संशोधन) कानून, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अहम सुनवाई होने जा रही है। CJI बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच इस बहुप्रतीक्षित मामले की सुनवाई करेगी। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं और केंद्र सरकार को 19 मई तक अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद दोनों पक्षों ने अपना-अपना पक्ष रख दिया है।
क्या है मामला?
संशोधित वक्फ कानून 2025 को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, जमीयत उलमा-ए-हिंद अध्यक्ष अरशद मदनी समेत कई संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ताओं की प्रमुख आपत्तियाँ निम्नलिखित बिंदुओं पर हैं…
- ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान को हटाया जाना
- वक्फ बोर्ड और केंद्रीय परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति
- जिला कलेक्टर को वक्फ संपत्ति की जांच का अधिकार देना
याचिकाकर्ता इसे धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों पर चोट मानते हैं।
केंद्र का पक्ष
केंद्र सरकार ने कहा है कि वक्फ संपत्तियों की संख्या में 2013 के बाद 116% की वृद्धि हुई है, और इस वृद्धि पर नियंत्रण के लिए संशोधन अनिवार्य था। सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आग्रह किया कि बिना पूरी सुनवाई के कानून पर रोक न लगाई जाए।
सुनवाई की पृष्ठभूमि
- 5 मई को पूर्व CJI संजीव खन्ना की बेंच ने यह मामला स्थगित कर दिया था।
- 13 मई को उनके रिटायरमेंट के चलते सुनवाई आगे बढ़ा दी गई।
- अब 20 मई को पूरी बेंच इस पर केंद्रित होगी। कोर्ट आज कोई अन्य मामला नहीं सुनेगा।
आज का दिन क्यों है अहम?
यह मामला न केवल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़ा है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि क्या सरकार धार्मिक संस्थानों में बिना भेदभाव हस्तक्षेप कर सकती है या नहीं। कोर्ट का आज का अंतरिम फैसला या दिशा-निर्देश भविष्य के लिए मिसाल बन सकता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
संविधान विशेषज्ञों का मानना है कि यह सुनवाई अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता), अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 26 (धार्मिक संस्थाओं को प्रबंध करने का अधिकार) जैसे प्रावधानों की व्याख्या को नया आयाम दे सकती है।