Amit Shah Bill 2025. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में तीन महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए। इन विधेयकों के तहत यह प्रावधान है कि यदि किसी राज्य के मुख्यमंत्री या देश के प्रधानमंत्री पर गंभीर आपराधिक आरोप हैं और वे लगातार 30 दिन तक जेल में रहते हैं, तो उन्हें अपने पद से हटना होगा।
विधेयक पेश होते ही सदन में हंगामा
विधेयक पेश होते ही विपक्षी सांसदों ने जोरदार विरोध शुरू कर दिया। कई सांसद वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। कुछ सांसदों ने विधेयक की प्रतिलिपियां फाड़कर गृह मंत्री अमित शाह की ओर उछाल दी। हंगामे के दौरान सदन का माहौल तनावपूर्ण हो गया।
जेपीसी को भेजने का प्रस्ताव
अमित शाह ने विधेयक पेश करते समय कहा कि सरकार इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने का प्रस्ताव रखती है। इसके बावजूद विपक्ष ने लगातार विरोध किया।
विपक्ष और सत्ता पक्ष आमने-सामने
विधेयक पेश होने पर विपक्षी सांसदों ने सत्ता पक्ष को घेर लिया और गृह मंत्री का माइक मोड़ने की कोशिश की। सत्ता पक्ष के सांसद रवनीत बिट्टू, कमलेश पासवान, किरेन रिजिजू और सतीश गौतम ने गृह मंत्री का बचाव किया और विपक्षी सांसदों को रोकने का प्रयास किया।
विपक्षी सांसदों का विरोध
नारेबाजी की शुरुआत तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसदों ने की। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने बिल पेश होते ही नारे लगाने शुरू कर दिए। कांग्रेस सांसद और महासचिव केसी वेणुगोपाल ने अपनी सीट से विधेयक की कॉपी फाड़कर फेंक दी। इसके बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के धर्मेंद्र यादव और अन्य सांसद भी वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। स्थिति बिगड़ने पर लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।
अमित शाह का जवाब
अमित शाह ने केसी वेणुगोपाल की आलोचना करते हुए कहा कि जब वे झूठे मामलों में जेल गए थे, तो उन्होंने नैतिकता के आधार पर पद से इस्तीफा दे दिया था और तब तक कोई संवैधानिक पद नहीं लिया जब तक अदालत ने उन्हें निर्दोष साबित नहीं किया। शाह ने कहा हम इतने ‘बेशर्म’ नहीं हैं कि आरोप लगने के बाद भी पद पर बने रहें। राजनीति में नैतिकता और शुचिता जरूरी है और इस विधेयक का उद्देश्य यही है।
जेपीसी को भेजा गया बिल
अमित शाह ने बिल को 21 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने का प्रस्ताव रखा, जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इसके बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि राजनीति में शुचिता और नैतिकता जरूरी है और कुछ विधेयक इन्हें मजबूत करने के लिए लाए जाते हैं। अब यह विधेयक जेपीसी के पास चर्चा के लिए भेजा गया है।