Lok Sabha Session Proceeding: जब संसद गरजती है, देश सुनता है… लेकिन जब संसद ही शोर में डूब जाए तो लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत किसकी सुने?” मानसून सत्र 2025 का छठा दिन कुछ ऐसा ही दृश्य लेकर आया। जैसे ही लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी सांसदों के शोर और नारेबाजी ने सदन की गरिमा को चुनौती दे दी। स्पीकर ओम बिरला इस अव्यवस्था पर बुरी तरह भड़क गए और कार्यवाही 1 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।

वही इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने विपक्ष से तीखे सवाल पूछे…”क्या अब आप ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा नहीं चाहते? प्रश्नकाल क्यों बाधित किया जा रहा है?” उन्होंने विपक्ष के नेता से अपील की कि वे अपने सांसदों को समझाएं और सदन की मर्यादा को न भूलने दें।

स्पीकर की नाराज़गी की वजह

ओम बिरला ने स्पष्ट किया कि विपक्ष ने बीते 7 दिनों तक ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग को लेकर सदन नहीं चलने दिया था। लेकिन अब जब सरकार इस पर चर्चा को तैयार हो गई है, तब भी प्रश्नकाल को बाधित किया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या विपक्ष अब केवल राजनीतिक स्टंट कर रहा है?

INDIA गठबंधन का विरोध प्रदर्शन

कार्यवाही शुरू होने से पहले संसद परिसर में INDIA गठबंधन के नेताओं ने बिहार में चल रहे Special Intensive Revision (SIR) के खिलाफ मकर द्वार पर जोरदार प्रदर्शन किया। गठबंधन ने इस प्रक्रिया को लोकतंत्र पर हमला बताया और आरोप लगाया कि SC, ST, OBC और अल्पसंख्यक समुदायों के नाम मतदाता सूची से जानबूझकर हटाए जा रहे हैं।

प्रदर्शन में कांग्रेस की सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, RJD की मीसा भारती, और DMK तथा TMC के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। विरोधियों ने हाथों में तख्तियां लेकर लोकतंत्र बचाने के नारे लगाए।

क्या विपक्ष रचनात्मक बहस की ओर लौटता है

लोकसभा की कार्यवाही को बाधित करना कोई नई बात नहीं, लेकिन जब मुद्दा पहले से सुलझाया जा चुका हो, तब भी विरोध करना विपक्ष की रणनीति पर सवाल खड़े करता है। स्पीकर का गुस्सा इस बात का संकेत है कि संसद को केवल राजनीतिक अखाड़ा नहीं बनाया जा सकता। आगामी दिनों में देखना होगा कि क्या विपक्ष रचनात्मक बहस की ओर लौटता है या संसद का मानसून सत्र भी गरमी की भेंट चढ़ता है।

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