लखनऊ में विकास और निर्माण के नाम पर जो खेल चल रहा है, वह अब किसी से छिपा नहीं है। एक ओर जहां LDA जैसे सरकारी संस्थान अवैध निर्माणों पर रोक लगाने का दावा करते हैं, वहीं दूसरी ओर बिल्डरों की मिलीभगत और अधिकारियों की लापरवाही से नियमों का उल्लंघन खुलेआम हो रहा है।
JE शिवानंद शुक्ला और सतवीर सिंह की मिलीभगत
अब एक और मामला सामने आया है, जहां बड़े बिल्डर विपिन अग्रवाल ने अवैध रूप से सील तोड़कर निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। LDA जोन 4 के JE शिवानंद शुक्ला और सतवीर सिंह की मिलीभगत ने इस स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। क्या ये सिर्फ एक उदाहरण है, या फिर यह एक व्यापक समस्या है, जिस पर प्रशासन को सख्त कदम उठाने की जरूरत है?
सूत्रों के मुताबिक, यह सब कुछ LDA जोन 4 के जूनियर इंजीनियर (JE) शिवानंद शुक्ला और सतवीर सिंह की मिलीभगत से हो रहा है। इन अधिकारियों की लापरवाही और शायद अन्य इंटरेस्ट्स के कारण यह अवैध निर्माण बिना किसी रोक-टोक के चल रहा है।
सील तोड़कर निर्माण
IIM रोड पर बनी यह बिल्डिंग न केवल नियमों का उल्लंघन कर रही है, बल्कि इसकी अवैधता भी LDA की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर रही है। LDA ने पहले इस बिल्डिंग को सील किया था, लेकिन इसके बावजूद बिल्डर ने सील तोड़कर निर्माण कार्य जारी रखा है। यह सील तोड़ने की घटना LDA के अधिकार क्षेत्र में आई बड़ी लापरवाही को उजागर करती है।
जोनल अफसर की चुप्पी
इस मामले में और भी गंभीर बात यह है कि LDA जोन 4 के अधिकारियों ने अब तक इस मामले में कोई FIR दर्ज नहीं करवाई है। स्थानीय नागरिकों और समाजिक कार्यकर्ताओं के अनुसार, यह बहुत बड़ी लापरवाही है, क्योंकि अवैध निर्माण पर कार्रवाई न करना नियमों का सीधा उल्लंघन है। इसके बावजूद जोनल अफसर ने इस मामले में कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की है, जो और भी चिंता का विषय बनता जा रहा है।
वीसी के आदेशों की अनदेखी
LDA के वीसी (विकास आयुक्त) ने सख्त आदेश दिए थे कि अवैध निर्माणों पर त्वरित कार्रवाई की जाए, लेकिन इस मामले में स्पष्ट रूप से प्रशासनिक आदेशों की अनदेखी की जा रही है। बिल्डर विपिन अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई न होने से अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या बड़े बिल्डर और स्थानीय अधिकारियों के बीच कोई मिलीभगत है, जो इस तरह के अवैध निर्माणों को बढ़ावा देती है।
नागरिकों की चिंताएँ
स्थानीय नागरिकों और समाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि प्रशासन समय रहते सख्त कदम नहीं उठाता है, तो शहर में अवैध निर्माणों का नेटवर्क और बढ़ सकता है। नागरिकों ने मांग की है कि इस मामले की जांच उच्चस्तरीय अधिकारी द्वारा की जाए और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
अवैध निर्माण और भ्रष्टाचार का नेटवर्क
यह मामला इस बात का संकेत है कि सरकारी अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण अवैध निर्माण का सिलसिला तेज हो रहा है। यह केवल एक बिल्डिंग का मामला नहीं है, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र में सुधार की आवश्यकता को उजागर करता है। अगर यही स्थिति रही तो लखनऊ में अवैध निर्माण और भ्रष्टाचार का यह नेटवर्क और मजबूत हो सकता है।