उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने लखनऊ के पी-4 पार्किंग वृन्दावन योजना में एकीकृत सिटी बस टर्मिनल और काॅमर्शियल जोन के विकास की स्वीकृति दे दी है। यह परिवर्तनकारी परियोजना, जो लगभग 28,56,728 वर्गमीटर (7.06 एकड़) में फैली होगी, जो शहरी गतिशीलता को बेहतर बनायेगी, ट्रैफिक जाम को कम करेगी और नागरिकों के लिए आधुनिक, सुविधा सम्पन्न परिवहन सेवायें प्रदान करेगी। यह पहल/पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप (पी.पी.पी.) माॅडल के माध्यम से स्थायी राजस्व सृजन को बढ़ावा देगी। यह परियोजना लखनऊ के नागरिकों को संगठित, सुलभ और कुशल सार्वजनिक परिवहन सुविधा प्रदान कर उन्हें लाभान्वित करेगी।

इस परियोजना को डिजाईन, बिल्ड, फायनेन्स, आॅपरेट और ट्रान्सफर आधार पर विकसित किया जायेगा, जिसमें भूमि को एक निजी विकासकर्ता को 60 वर्षों के लिए लीज पर दिया जायेगा। यह स्थल उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद से ₹ 150.00 करोड़ में नगरीय परिवहन निदेशालय द्वारा क्रय किया गया है, जिसका वर्तमान में बसों की पार्किंग एवं रख-रखाव के लिए उपयोग किया जा रहा है। यह नया बस टर्मिनल 141 ई-बसों और 52 सी.एन.जी. बसों के संचालन को बेहतर बनायेगा, साथ ही भविष्य में 150 अतिरिक्त ई-बसों की योजना भी शामिल है, जिससे पर्यावरण- अनुकूल एवं कुशल सार्वजनिक परिवहन सुनिश्चित होगा।

एकीकृत सिटी बस टर्मिनल का उद्देश्य संगठित बस संचालन और अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान करके लखनऊ के सार्वजनिक परिवहन परिदृश्य को बदलना है। यह ₹ 380.00 करोड़ की अनुमानित लागत से विकसित किया जाएगा (जिसमें भूमि की लागत शामिल नहीं है)। इस परियोजना में 275 कारों की पार्किंग, उपयोगिता भवन, यात्री प्रतीक्षालय, वातानुकूलित वेटिंग हॉल, पूछताछ और बुकिंग काउंटर एवं आरक्षण, पार्सल रूम सहित क्लोक रूम, कियोस्क/ईटरी/फूड स्टॉल, सार्वजनिक सुविधाएं (स्त्रियों एवं पुरुषों के लिए पृथक), यूरिनल और शौचालय, जल एटीएम, मेडिकल एड रूम, क्रेच, बैंक/एटीएम/पुलिस बूथ और सुरक्षा नियंत्रण कक्ष आदि जैसी व्यावसायिक सुविधाएं शामिल होंगी, जो यात्रियों को निर्बाध और आरामदायक अनुभव प्रदान करने के लिए डिजाइन की गई हैं।

नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव, अमृत अभिजात ने कहा कि “यह परियोजना लखनऊ के शहरी बुनियादी ढांचे के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय है,“ “यह परियोजना न केवल एकीकृत बस टर्मिनल की तत्काल आवश्यकता को पूरा करेगी, बल्कि शहरी गतिशीलता और आर्थिक विकास के लिए एक स्थायी मॉडल भी तैयार करेगी। वर्तमान में संचालित 141 इलेक्ट्रिक बसों और 52 सी.एन.जी. बसों के साथ-साथ भविष्य में आवश्यकतानुसार अतिरिक्त ई-बसों से यह बस टर्मिनल नागरिकों को सुलभता और सुविधा को काफी हद तक बढ़ाएगा, जो उत्तर प्रदेश सरकार की सार्वजनिक परिवहन के आधुनिकीकरण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।“

पी.पी.पी. मॉडल के अन्तर्गत चयनित निजी विकासकर्ता परियोजना का डिजाइन तैयार करने, आवश्यक स्वीकृतियां प्राप्त करने, निर्माण के वित्तपोषण और निर्माण को पूरा करने के लिए उत्तरदायी होगा। बस टर्मिनल को 36 महीनों में तथा वाणिज्यिक स्थानों को 60 महीनों में पूरा करना होगा। विकासकर्ता निर्धारित मानको के अनुसार सुविधा का संचालन और रख-रखाव भी करेगा तथा 60 वर्षीय पट्टा अवधि के अन्त में सभी सम्पत्तियों को सरकार को हस्तान्तरित करेगा।विकासकर्ता का चयन पारदर्शी, प्रतिस्पर्धी बिड प्रक्रिया के माध्यम से होगा, जिसमें उच्चतम वार्षिक रियायती शुल्क (।ब्थ्) मुख्य मानदण्ड होगा, जिसमें प्रत्येक 03 वर्ष में 10 प्रतिशत शुल्क बढ़ेगा। इससे सरकार के लिए निरन्तर राजस्व सुनिश्चित होगा। वाणिज्यिक क्षेत्रों से होने वाले आय के साथ राजस्व परियोजना की वित्तीय स्थिरता का समर्थन करेगा।

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