भारत में चावल के रिकॉर्ड भंडारण के चलते सरकार ने इसका नया उपयोग ढूंढ लिया है। फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) ने इस साल 5.2 मिलियन मीट्रिक टन चावल एथनॉल उत्पादन के लिए आवंटित किया है, जो कि वैश्विक चावल व्यापार के 9% के बराबर है।

पिछले साल केवल 3,000 टन FCI चावल एथनॉल में इस्तेमाल हुआ था, लेकिन अब 59.5 मिलियन टन का रिकॉर्ड भंडार सरकार को मजबूर कर रहा है कि वह इसके उपयोग के वैकल्पिक रास्ते तलाशे।

एथनॉल लक्ष्य के करीब भारत

भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा पेट्रोलियम उत्पाद उपभोक्ता है, 2025-26 तक 20% एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य रखता है। पिछले महीने 19.8% का स्तर छू लिया गया, जो इस दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

पिछले वर्ष जब सूखे के कारण गन्ना उत्पादन में भारी गिरावट आई थी, तब यह लक्ष्य असंभव लगने लगा था। लेकिन अब चावल ने इस संकट से निकलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

निर्यात में आ रहा उछाल

मार्च 2024 में भारत ने चावल निर्यात पर लगे सभी प्रतिबंध हटा दिए थे। इसके बाद भारत ने आक्रामक रूप से निर्यात शुरू किया और अनुमान है कि 2025 में चावल निर्यात 25% बढ़कर 22.5 मिलियन टन तक पहुँच जाएगा।

हालांकि, FAO के अनुसार भारत की सालाना जरूरत 120.7 मिलियन टन है, जबकि इस साल उत्पादन 146.1 मिलियन टन दर्ज किया गया।

उद्योग की मांगें और चुनौतियाँ

FCI का चावल मूल्य 22,500 रुपये प्रति टन है, जबकि तेल विपणन कंपनियां एथनॉल 58.5 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीद रही हैं।
उद्योग जगत इसे कम मार्जिन वाला सौदा मान रहा है।
मोदी नैचुरल्स लिमिटेड के MD अक्षय मोदी के अनुसार, सरकार को या तो एथनॉल का मूल्य बढ़ाना चाहिए या चावल सस्ता करना चाहिए, ताकि उत्पादन और बढ़ सके।

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