Filariasis Elimination Campaign. योगी सरकार ने प्रदेश को वर्ष 2027 तक फाइलेरिया मुक्त बनाने के उद्देश्य से रविवार से 27 जिलों के 195 ब्लॉकों में लिम्फेटिक फाइलेरियासिस उन्मूलन अभियान की शुरुआत की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार इस अभियान का शुभारंभ जनप्रतिनिधियों एवं जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) ने मिलकर किया। 28 अगस्त तक स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर दवा खिलाएंगे, जिससे लोग खुद और अपने समुदाय को इस बीमारी से बचा सकें।
सहयोगात्मक प्रयासों से अभियान को सफल बनाने की योजना
योजना के तहत राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, शिक्षा विभाग, पंचायती राज विभाग, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग और स्वास्थ्य विभाग सहित कई विभागों को एक साथ जोड़ा गया है। मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, डॉ. पिंकी जोवेल ने बताया कि अभियान को सफल बनाने के लिए लगातार निगरानी की जा रही है और सभी विभागों को विस्तृत दिशा-निर्देश प्रदान किए गए हैं ताकि एकीकृत और सुसंगत दृष्टिकोण से काम किया जा सके।
स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को अभियान से जोड़ा गया
जनभागीदारी को बढ़ावा देने के लिए स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को भी अभियान में शामिल किया गया है। ये महिलाएं दवा की सुरक्षा और प्रभावशीलता के बारे में लोगों की आशंकाओं को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, जिससे दवा सेवन में बढ़ावा मिले।
शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम
फाइलेरिया रोकथाम में बच्चों और शिक्षकों की भूमिका को महत्व देते हुए शिक्षा विभाग ने स्कूल आधारित गतिविधियाँ शुरू की हैं। शिक्षक प्रार्थना सभाओं के दौरान फाइलेरिया की रोकथाम के बारे में छात्रों को जागरूक करेंगे, जिससे अभिभावकों की भी भागीदारी सुनिश्चित हो सके। इसके साथ ही खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग राशन की दुकानों पर अभियान से संबंधित जानकारी उपलब्ध करा रहा है।
फाइलेरिया की रोकथाम जरूरी, लक्षण 15 साल बाद दिखते हैं
प्रमुख सचिव ने इस अभियान की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से फैलने वाली बीमारी है, जिसके लक्षण सामान्यतः 10 से 15 साल बाद प्रकट होते हैं। हालांकि वर्तमान में यह बीमारी लाइलाज मानी जाती है, लेकिन पाँच वर्षों तक नियमित दवा सेवन से इसे प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है। अभियान की सफलता के लिए व्यापक जनभागीदारी आवश्यक है।
35 हजार से अधिक औषधि प्रशासक और 7 हजार पर्यवेक्षक तैनात
एमडीए अभियान को सफल बनाने के लिए प्रदेश के 27 जिलों में 35483 औषधि प्रशासक और 7096 पर्यवेक्षक तैनात किए गए हैं। 195 ब्लॉकों में टास्क फोर्स की बैठकों के माध्यम से तैयारी की गई है। गंभीर दवा प्रभाव से निपटने के लिए 390 त्वरित प्रतिक्रिया दल भी तैयार हैं। यह योजना सुनिश्चित करेगी कि अधिकतम आबादी इस बीमारी से बचाव कर सके।
अभियान से जुड़े जिले और क्षेत्र
आंदोलन औरैया, बहराइच, बलरामपुर, बस्ती, चंदौली, देवरिया, इटावा, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, गाजीपुर, गोंडा, गोरखपुर, हरदोई, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, कौशाम्बी, लखीमपुर खीरी, कुशीनगर, महाराजगंज, मिर्जापुर, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर, सीतापुर, श्रावस्ती, रायबरेली और सुल्तानपुर में चलाया जा रहा है।
यह अभियान प्रदेश को फाइलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है, जिसमें सरकारी प्रयासों के साथ-साथ समुदाय की सक्रिय भागीदारी जरूरी है।