लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के लिए जून 2025 का महीना वित्तीय दृष्टि से कुछ मायनों में चिंताजनक रहा। स्टेट जीएसटी (SGST) संग्रह में 4% की गिरावट दर्ज की गई है, जो राज्य के आर्थिक संकेतकों पर सवाल खड़े कर रही है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जून 2025 में उत्तर प्रदेश का SGST कलेक्शन 9248 करोड़ रुपये रहा, जबकि जून 2024 में यह आंकड़ा 9601 करोड़ रुपये था। यानी राज्य के खजाने में इस साल जून महीने में 353 करोड़ रुपये कम आए हैं।
स्टेट GST में ऐतिहासिक गिरावट
वित्त मंत्री सुरेश खन्नाकलेक्शन रैंकिंग में टॉप 2 में शामिल रहता था और अब कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात और तेलंगाना ने यूपी को पीछे छोड़ दिया है।
उद्योगों का पलायन और व्यापारी असंतोष बना बड़ी वजह
GST कलेक्शन में गिरावट के पीछे एक बड़ा कारण माना जा रहा है कि कई फैक्ट्रियां और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स ने यूपी छोड़कर मध्यप्रदेश, गुजरात और हरियाणा जैसे राज्यों का रुख किया है, व्यापारियों के उत्पीड़न और अनावश्यक छापेमारी के आरोप लगे हैं, इसका सीधा असर कर संग्रहण (Revenue Collection) पर पड़ा है।
आबकारी रेवेन्यू भी रिकॉर्ड स्तर पर गिरा
जनवरी के महीने में जबकि ठंड के कारण शराब की खपत बढ़ने की उम्मीद थी, यूपी का आबकारी रेवेन्यू सबसे ज्यादा गिरा, विभाग का संग्रह रिकॉर्ड स्तर पर नीचे गया, वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार आबकारी विभाग ने तय लक्ष्य से हजारों करोड़ कम अर्जित किया है।
कुंभ से उम्मीद, पर परिणाम उल्टा
राज्य सरकार को जनवरी में प्रयागराज कुंभ मेले के चलते व्यापारिक गतिविधियों और होटल-रेस्टोरेंट्स से GST और आबकारी दोनों में अतिरिक्त रेवेन्यू की उम्मीद थी। लेकिन रिपोर्ट दर्शाती है कि कुंभ का आर्थिक लाभ भी अपेक्षा से काफी कम रहा और इसका असर भी राजस्व पर पड़ा।
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा राज्य के राजस्व में यह गिरावट चिंताजनक है। हम विभिन्न विभागों से रियल टाइम मॉनिटरिंग रिपोर्ट ले रहे हैं और सभी संबंधित अधिकारियों से जवाबदेही सुनिश्चित की जा रही है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि व्यापारियों की शिकायतों को गंभीरता से लिया जा रहा है और कर प्रणाली को आसान और पारदर्शी बनाने की दिशा में प्रयास तेज़ होंगे।
क्या हो सकते हैं इसके दूरगामी प्रभाव?
रेवेन्यू में बड़ी गिरावट से विकास योजनाओं के लिए फंडिंग में कटौती संभव हो सकती है। नई भर्तियों और निर्माण कार्यों पर भी असर पड़ेगा, राज्य को बाजार से उधारी लेनी पड़ सकती है, सरकारी सब्सिडी योजनाओं में देरी या बजट में कटौती होने से भारी नुकसान का सामान करना पड़ सकता है।