नई दिल्ली। 2014 से 2025 तक की यह कहानी सिर्फ जीडीपी ग्राफ की नहीं, बल्कि भारत के हर आम नागरिक के सपनों, आत्मविश्वास और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता की है। देश की आर्थिक धारा अब सिर्फ बड़ी-बड़ी कंपनियों के नामों तक सीमित नहीं रही, बल्कि हर छोटा निवेशक, हर ग्रामीण परिवार और हर डिजिटल यूजर इसका हिस्सा बन गया है।
निवेश में आई क्रांति: डिमैट से लेकर SIP तक
2013 में जहां सिर्फ 2.1 करोड़ डिमैट अकाउंट थे, वहीं 2025 में यह आंकड़ा 18.5 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। खुदरा निवेशक अब 1 करोड़ से बढ़कर 11 करोड़ हो चुके हैं। यह सिर्फ निवेश नहीं, नई सोच का उभार है। डिसेंबर 2024 में SIP निवेश ₹26,459 करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा, NSE ने FY25 में 84 लाख नए निवेशक जोड़े। ये संख्या बताती है कि आम आदमी अब सिर्फ बचत नहीं कर रहा, देश की संपत्ति में हिस्सेदारी भी ले रहा है।
आर्थिक सोच में बदलाव: अब कर्ज नहीं, समझदारी से बचत
Motilal Oswal और RBI के आंकड़े बताते हैं कि FY25 की पहली छमाही में घरेलू बचत जीडीपी के 7.3% तक पहुंच गई, जबकि कर्ज 6.9% से घटकर 4.7% रह गया। यानि लोग अब कम उधार, ज्यादा निवेश कर रहे हैं।
ग्रामीण भारत की आमदनी में 57% उछाल
NABARD के सर्वे के मुताबिक 2016–17 में जहां ग्रामीण परिवारों की औसत आय ₹8,059 थी, वो 2021–22 में बढ़कर ₹12,698 हो गई। यानि 5 साल में 57.6% की उछाल, और ये हुआ है गांवों में सड़क, इंटरनेट, क्रेडिट और सरकारी योजनाओं की वजह से।
मध्यम वर्ग की नई परिभाषा: आकांक्षाएं बनीं ताकत
PRICE रिपोर्ट कहती है कि 2015 में जहां निम्न मध्यम वर्ग 36.7 करोड़ था, वह 2023 में घटकर 32.7 करोड़ रह गया। जबकि मध्यम वर्ग 57.9 करोड़ से बढ़कर 64.8 करोड़, और उच्च मध्यम वर्ग 13.5 करोड़ से 28.2 करोड़ हो गया। यानी देश अब गरीबी से निकलकर आकांक्षाओं की ओर बढ़ रहा है।
50 साल में पहली बार मिला ऐसा स्थायी जनादेश
मोदी के तीसरे कार्यकाल में जो स्थायित्व मिला है, वह सिर्फ राजनीतिक नहीं, नीतिगत स्थायित्व भी लेकर आया है। जहां दुनियाभर में सरकारें अस्थिर हो रही हैं, भारत ने एक बार फिर विश्वास, विकास और नेतृत्व को चुना। GDP 2015 में $2.1 ट्रिलियन थी, जो 2025 में $4.3 ट्रिलियन होने का अनुमान है। जापान को पीछे छोड़कर भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। NITI Aayog कहता है कि हम जल्द ही जर्मनी को भी पछाड़ सकते हैं। भारत के निर्यात में 37% की बढ़ोतरी हुई है। दवाओं से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक, भारत अब विश्व में भरोसे का नाम बन चुका है।
गरीबी 1% से भी कम, प्रति व्यक्ति आय ₹2 लाख पार
सरकार के मुताबिक अब तक 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकल चुके हैं, और देश में **चरम गरीबी 1% से भी कम रह गई है। 2014 में प्रति व्यक्ति आय ₹86,000 थी, जो 2025 में ₹2 लाख से ऊपर हो गई है।
डिजिटल भारत, आत्मनिर्भर भारत और लोकतांत्रिक भागीदारी
जनधन खाते, JAM ट्रिनिटी, DBT और UPI जैसे नवाचारों ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम बना दिया है। आज भारत सिर्फ विकास की बात नहीं कर रहा, विकास को जी रहा है।