नई दिल्ली: एयरबस हेलीकॉप्टर्स ने महिंद्रा एरोस्ट्रक्चर्स को H130 लाइट सिंगल-इंजन हेलीकॉप्टर के मुख्य फ्यूसलाज के निर्माण और असेंबली का ठेका दिया है। यह ठेका भारत के एयरोस्पेस निर्माण क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारतीय हेलीकॉप्टर निर्माण क्षमता को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करता है। यह पहला मौका है जब एयरबस हेलीकॉप्टर्स भारत से हेलीकॉप्टर फ्यूसलाज का स्रोत बनाएगा।

महिंद्रा एरोस्ट्रक्चर्स की भूमिका
महिंद्रा एरोस्ट्रक्चर्स बैंगलोर के पास अपनी अत्याधुनिक सुविधा में H130 फ्यूसलाज का निर्माण करेगा। यह असेंबली पूरी होने के बाद एयरबस हेलीकॉप्टर्स की अंतिम असेंबली लाइन पर फ्रांस के मारिग्नाने भेजी जाएगी।

H130 हेलीकॉप्टर की विशेषताएँ
H130 एक सिंगल-इंजन रोटोरक्राफ्ट है, जो अपनी विशाल कैबिन और कम शोर वाले डिजाइन के लिए जाना जाता है। यह हेलीकॉप्टर पर्यटन, मेडिकल ट्रांसपोर्ट (EMS), कॉर्पोरेट मोबिलिटी और कानून प्रवर्तन में प्रमुख रूप से उपयोग किया जाता है।

भारत की भूमिका में वृद्धि
यह अनुबंध भारत को एयरबस की आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका में स्थापित करता है और इसके माध्यम से भारत में उन्नत तकनीकी और अत्यधिक कुशल निर्माण कार्यों की शुरुआत हो रही है। एयरबस इंडिया और साउथ एशिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, रेमी माइलार्ड ने इस ठेके को ऐतिहासिक बताया और इसे भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के साथ जोड़ते हुए कहा, “यह अनुबंध हमें भारत में हेलीकॉप्टर फ्यूसलाज बनाने की दिशा में एक कदम और बढ़ाता है, और हम इसे महिंद्रा के साथ साझेदारी में कर रहे हैं।”

महिंद्रा ग्रुप की रणनीतिक स्थिति
महिंद्रा ग्रुप के सीईओ और एमडी डॉ. अनिश शाह ने इस अवसर को महिंद्रा के तकनीकी और वैश्विक प्रोग्राम प्रबंधन में विश्वास की बड़ी पहचान बताया। उन्होंने कहा, “यह अवसर एयरबस द्वारा भारतीय निर्माण पर दिखाया गया विश्वास है और महिंद्रा की क्षमताओं का प्रमाण है।”

भारत का हेलीकॉप्टर बाजार
भारत का हेलीकॉप्टर उद्योग एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, पर्यटन, स्वास्थ्य देखभाल और आपातकालीन राहत कार्यों में हेलीकॉप्टर का उपयोग बढ़ रहा है। सरकार ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के लिए हेलीकॉप्टर आधारित एयर मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए UDAN 5.0 जैसी योजनाओं को भी लागू किया है।

भारत की एयरोस्पेस यात्रा में एक नया मील का पत्थर
महिंद्रा-एयरबस समझौता केवल एक निर्माण ठेका नहीं है, बल्कि भारत की एयरोस्पेस यात्रा के लिए एक रणनीतिक मील का पत्थर है। यह भारत को वैश्विक एयरोस्पेस आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख नोड के रूप में स्थापित करता है और आगे चलकर और भी गहरे औद्योगिक सहयोग, अनुसंधान और विकास साझेदारियों का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

उम्मीदें और भविष्य
इस कार्यक्रम की पहली डिलीवरी अगले कुछ वर्षों में होने की संभावना है, और यह भारतीय एयरोस्पेस उद्योग के लिए एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।

'Congress को पहले Rahul Gandhi को पार्टी से बाहर करना चाहिए...' ऐसा क्यों बोले Mukhtar Abbas Naqvi?

शेयर करना
Exit mobile version