बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस की नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार और सेना के बीच तनाव तेजी से बढ़ गया है। यह टकराव तब सामने आया जब अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने सेना के 24 अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। अधिकारियों पर जबरन गायब किए जाने, यातनाएं देने और गुप्त हिरासत में रखने का आरोप है।
सेना में बढ़ा असंतोष
आईसीटी के वारंट के बाद सेना के भीतर भारी निराशा और असंतोष पैदा हो गया है। सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान को अपने अधिकारियों के दबाव का सामना करना पड़ रहा है। इसके चलते उन्हें भारत और सऊदी अरब की अपने दौरे भी रद्द करने पड़े।
मूल समस्या: जमात-ए-इस्लामी
विश्लेषकों के अनुसार, समस्या की जड़ जमात-ए-इस्लामी संगठन में है। यह संगठन अपने फायदे के लिए यूनुस पर आईसीटी का दबाव डाल रहा है। आईसीटी की स्थापना मूल रूप से 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए की गई थी।
आईसीटी का नया कार्यक्षेत्र
हालांकि अब आईसीटी का क्षेत्र बदल गया है और यह शेख हसीना के शासनकाल में जबरन गायब किए जाने और न्यायेतर हत्याओं जैसे मामलों में संलिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। इसके साथ ही आईसीटी का मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम, जो पहले जमात सदस्यों का बचाव करते थे, अब उनके खिलाफ मुकदमा चला रहे हैं।