शिलांग, 27 अगस्त /–/ विपक्षी टीएमसी नेता मुकुल संगमा ने मंगलवार को विभिन्न सरकारी विभागों में स्वीकृत पदों की रिक्तियों को भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया को स्थगित रखने के लिए राज्य सरकार के उदासीन रवैये की आलोचना की।

संगमा ने राज्य विधानसभा में कहा, “मैं सरकार की मंशा पर सवाल उठाना चाहता हूं। मौजूदा सरकार रिक्त पदों को भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया को क्यों स्थगित रखने की कोशिश कर रही है, जबकि मैं पहले से ही स्वीकृत पदों की रिक्तियों की बात कर रहा हूं।”

अम्पाती के एक सरकारी स्कूल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, “वहां 30,000 रुपये के निश्चित वेतन के साथ रिक्त पद को भरने के लिए विज्ञापन दिया गया था, क्यों? स्वीकृत पद के विरुद्ध यह अवैध है।”

स्वीकृत पदों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, “मुझे 30,000 क्यों मिलना चाहिए? यह वंचना है, कानूनी डकैती है।”

उन्होंने कहा कि इन रिक्तियों को जानबूझकर नहीं भरा जा रहा है, क्योंकि सरकार को जागरूक करने के कई प्रयास हमेशा अनसुने रह गए हैं। यह एक निरर्थक प्रयास रहा है।

एमपीएससी परिणाम गतिरोध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भर्ती प्रणाली की ईमानदारी सवालों के घेरे में है और इसे बहाल करने की जरूरत है

उन्होंने कहा, “संवैधानिक निकाय की भर्ती प्रक्रिया के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर पर्याप्त प्रतिक्रियाएं प्रसारित की गईं। मैं सरकार से इसे सुधारने का आग्रह करता हूं क्योंकि यह गलत परंपरा है।”

उन्होंने कहा कि इसी तरह, ईस्ट गारो हिल्स के डीएससी परिणाम में एक ही परिवार के चार सदस्य पास हुए।

उन्होंने कहा, “यदि वे ईमानदारी पर संदेह करते हैं, तो वे पूरी व्यवस्था, राजनीतिक वर्ग की ईमानदारी पर संदेह करते हैं और यह खतरनाक है।”

संगमा ने कहा कि सरकार विभिन्न विभागों, चाहे वह स्वास्थ्य, शिक्षा, पीडब्ल्यूडी, पुलिस विभाग हो, में रिक्तियों को भरने में असंवेदनशील है।

उन्होंने सवाल किया, “एसएफ 10 बटालियन का आकार किसके लिए धीरे-धीरे कम किया जा रहा है, सिर्फ इसलिए कि हम रिक्तियों को न्यूनतम करना चाहते हैं?”

टीएमसी नेता ने यह भी कहा कि कैसे सैकड़ों स्थानीय ठेकेदार विभिन्न सरकारी विभागों से अनुबंध कार्य के लिए लाइन में खड़े होते थे और अब चीजें कैसे बदल गई हैं।

उन्होंने कहा, “2018 के बाद बहुत बड़ा बदलाव आया है: जो जगह पहले छोटे ठेकेदारों के लिए उपलब्ध थी, वह धीरे-धीरे बड़े पैकेज के काम में समाहित हो गई है। आज आपके पास काम नहीं है।”

उन्होंने आगे कहा, “यदि आप प्रत्येक विभाग की प्रत्येक निविदा को देखें तो हम देखेंगे कि जो परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं, भले ही वे अलग-अलग स्थानों पर हों, उन्हें एक बड़े पैकेज में समाहित कर दिया गया है, ताकि बाकी को योग्य न बनाया जा सके।”

उन्होंने कहा, “छोटे-मोटे काम करने वाले, युवा लड़के-लड़कियों का क्या होगा जो इस क्षेत्र में अपना कारोबार शुरू करना चाहते हैं? हमने उन्हें विफल कर दिया है, जिसके कारण सरकार या सत्ता में बैठे लोग ही जानते हैं।”

उन्होंने कहा, ‘पीडब्ल्यूडी में हर काम को बड़े समूहों में जोड़ दिया जाता है और हमारे नवोदित उद्यमी इसके लिए पात्र नहीं होंगे। अगर हम इस मुद्दे को हल करना चाहते हैं तो अनुबंध कार्यों में पूर्व-निर्धारित दुर्भावनापूर्ण इरादे से हेरफेर की जांच की जानी चाहिए।

उन्होंने अपना ध्यान केंद्रित करते हुए कहा, “यदि आप रोजगार सृजन के लिए अन्य पहलों पर विचार कर रहे हैं, तो मनरेगा में हमारे पास सामग्री घटक है, जिससे हम इसका लाभ उठा सकते हैं। हमने किसानों और वी.सी. को परियोजनाएं लेने के लिए प्रोत्साहित किया है। अब सभी रोपण सामग्री असम से आ रही है।”

उन्होंने कहा, “हमने स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित किया और उनका समर्थन किया, लेकिन जब आपूर्ति होती है तो सभी रोपण सामग्री असम से आती है, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से हमारे लोगों को अवसर से वंचित होना पड़ता है।”

उन्होंने कहा, “हमें ईमानदार होना चाहिए और वास्तव में खुले दिल से काम करना चाहिए तथा बेरोजगारी के मुद्दे का समाधान खोजने के लिए एक साथ आना चाहिए। सदन में सिर्फ बहस ही हमें जगाने के लिए है।”

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