विदेश मंत्री मूसा ज़मीर ने स्वीकार किया है कि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू के नेतृत्व वाली सरकार के शुरुआती दिनों में मालदीव-भारत संबंधों में खटास आई थी, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों देशों ने “गलतफहमियों” को सुलझा लिया है।

ज़मीर ने यह टिप्पणी शुक्रवार को श्रीलंका की यात्रा के दौरान की, जहां उन्होंने हिंद महासागर के इस द्वीपसमूह के प्रमुख सहयोगियों, विशेषकर चीन और भारत के साथ संबंधों के महत्व पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि भारत के साथ संबंधों में चुनौतियां आई हैं, विशेषकर राष्ट्रपति मुइज्जु द्वारा मालदीव से भारतीय सैनिकों की एक छोटी टुकड़ी को हटाने के अभियान के बाद।

ज़मीर ने कहा कि मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी के बाद दोनों देशों के बीच “गलतफहमी” दूर हो गई है।

द एडिशन अखबार ने ज़मीर के हवाले से लिखा है, “आप जानते हैं कि हमारी सरकार के शुरूआती कार्यकाल में हमें (भारत के साथ) कुछ मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ा था।”

उन्होंने कहा, “हमारे चीन और भारत दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं तथा दोनों देश मालदीव को समर्थन देना जारी रखे हुए हैं।”
चीन समर्थक विचारधारा के लिए मशहूर मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत और मालदीव के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं। शपथ लेने के कुछ ही घंटों के भीतर उन्होंने मालदीव को भारत द्वारा उपहार में दिए गए तीन विमानन प्लेटफॉर्म पर तैनात भारतीय सैन्यकर्मियों को वापस बुलाने की मांग की थी। दोनों पक्षों के बीच बातचीत के बाद भारतीय सैन्यकर्मियों की जगह आम नागरिकों को तैनात किया गया।

मामला तब और बढ़ गया जब मालदीव के तीन उप-मंत्रियों ने सोशल मीडिया पर भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में विवादित टिप्पणी की। मालदीव के विदेश मंत्रालय ने उनकी टिप्पणियों से खुद को अलग कर लिया और तीनों कनिष्ठ मंत्रियों को निलंबित कर दिया गया।

अपने पूर्ववर्तियों के विपरीत, जिन्होंने पदभार ग्रहण करने के बाद सबसे पहले नई दिल्ली का दौरा किया, मुइज़्ज़ू ने पहले तुर्की की यात्रा की और जनवरी में अपनी पहली राजकीय यात्रा के लिए चीन की यात्रा की। वे प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए 9 जून को नई दिल्ली आए।

उनके प्रवक्ता ने मंगलवार को बताया कि मुइज्जु “बहुत जल्द” आधिकारिक यात्रा पर भारत आएंगे।

ज़मीर ने यह भी कहा कि मालदीव की अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से राहत पैकेज लेने की कोई योजना नहीं है, उन्होंने अपने देश के सामने मौजूदा आर्थिक चुनौतियों को “अस्थायी” बताकर खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “हमारे द्विपक्षीय साझेदार हैं जो हमारी जरूरतों और हमारी स्थिति के प्रति बहुत संवेदनशील हैं।” उन्होंने आईएमएफ से बाहरी सहायता लिए बिना अपने राजकोषीय मुद्दों को हल करने में सरकार के विश्वास का संकेत दिया।

“मुझे गंभीरता से नहीं लगता कि यह ऐसा समय है जब हम अभी आईएमएफ के साथ बातचीत करेंगे। हमारे सामने जो समस्या है वह बहुत अस्थायी है क्योंकि वर्तमान में हमारे भंडार में गिरावट आ रही है।” ज़मीर ने आर्थिक स्थिति को संबोधित करने के लिए सरकार की रणनीति को रेखांकित किया, जिसमें कर व्यवस्था में सुधार और सरकारी स्वामित्व वाले उद्यमों के लिए लागत में कटौती के उपाय लागू करना शामिल है।

उन्होंने चीन और भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर भी प्रकाश डाला तथा कहा कि ये देश मालदीव को समर्थन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

उनकी यह टिप्पणी मालदीव की वित्तीय स्थिति के बारे में क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की चेतावनियों के मद्देनजर आई है।

मालदीव का अधिकांश बाहरी ऋण चीन और भारत का है। इस वर्ष सरकार की ऋण सेवा प्रतिबद्धताएं 409 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई हैं, जिससे उसके पहले से ही सीमित विदेशी मुद्रा भंडार पर अतिरिक्त दबाव बढ़ गया है।

अखबार के अनुसार, मालदीव का मुद्रा भंडार वर्तमान में 444 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिसमें से उपयोग योग्य मुद्रा भंडार 61 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।
ज़मीर ने कहा, “राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों का युक्तिकरण निश्चित रूप से हमें अपने संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करने में मदद करेगा।”

ज़मीर के साथ श्रीलंका में वित्त मंत्री मोहम्मद शफीक भी शामिल हुए, जहां दोनों ने वित्तीय मामलों पर चर्चा करने के लिए श्रीलंकाई केंद्रीय बैंकरों और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की।

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