कांग्रेस ने शनिवार को मांग की कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी दोबारा आयोजित की जाए और सभी “पेपर लीक घोटालों” की सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में गहन जांच की जाए।
कथित कदाचार को लेकर विवादों से घिरी नीट-यूजी 2024 परीक्षा को रद्द करने की बढ़ती मांग के बीच केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी ने शुक्रवार को शीर्ष अदालत से कहा कि बड़े पैमाने पर गोपनीयता के उल्लंघन के सबूत के बिना इसे रद्द करना प्रतिकूल परिणाम देगा क्योंकि इससे लाखों ईमानदार उम्मीदवार “गंभीर रूप से संकट में” पड़ सकते हैं।
राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए), जो एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) आयोजित करती है, और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, 5 मई को आयोजित परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक से लेकर प्रतिरूपण तक बड़े पैमाने पर कथित गड़बड़ियों को लेकर मीडिया में बहस और छात्रों और राजनीतिक दलों के विरोध के केंद्र में रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हिंदी में ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि नीट-यूजी में कोई पेपर लीक नहीं हुआ है।
खड़गे ने कहा, “लाखों युवाओं से यह सफेद झूठ बोला जा रहा है। उनका भविष्य बर्बाद किया जा रहा है।”
कांग्रेस नेता ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय ने कहा है कि “केवल कुछ स्थानों पर अनियमितताएं या धोखाधड़ी हुई है” लेकिन यह “भ्रामक” है।
उन्होंने दावा किया कि भाजपा-आरएसएस ने पूरी शिक्षा प्रणाली पर नियंत्रण करके “शिक्षा माफिया” को बढ़ावा दिया है।
खड़गे ने आरोप लगाया, ‘‘चाहे एनसीईआरटी की किताबें हों या परीक्षा में लीक, मोदी सरकार हमारी शिक्षा प्रणाली को नष्ट करने पर तुली हुई है।’’
उन्होंने कहा, “हम अपनी मांग दोहराते हैं कि ‘नीट-यूजी’ फिर से आयोजित की जानी चाहिए। इसे पारदर्शी तरीके से ऑनलाइन आयोजित किया जाना चाहिए।”
खड़गे ने यह भी मांग की कि सभी “पेपर लीक घोटालों” की सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में गहन जांच की जानी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा, “मोदी सरकार अपने कुकर्मों से बच नहीं सकती।”
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और एनटीए ने अलग-अलग हलफनामे दायर कर उन याचिकाओं का विरोध किया जिनमें विवादों से घिरी इस परीक्षा को रद्द करने, दोबारा परीक्षा कराने और इसमें शामिल सभी मुद्दों की अदालत की निगरानी में जांच कराने की मांग की गई है।
अपने जवाब में उन्होंने कहा कि देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई ने विभिन्न राज्यों में दर्ज मामलों को अपने हाथ में ले लिया है।